कुंभ मेले से 45 हजार परिवारों को मिल रहा रोजगार:2013 में 6.35 लाख लोगों को मिली थीं नौकरियां, 12,000 करोड़ की कमाई

2 महीने पहलेलेखक: शिवेंद्र गौरव
  • कॉपी लिंक

साल 1906 के कुंभ मेले में ब्रिटिश सरकार ने सिर्फ 10,000 रुपए कमाए थे। 200 सालों से ज्यादा समय में कुंभ का स्वरूप और इससे होने वाली कमाई कई गुना बढ़ गई है। 2013 के प्रयाग कुंभ मेले में 12,000 करोड़ की कमाई हुई थी, जबकि 6 लाख से ज्यादा लोगों को काम मिला था। इस बार यह संख्या और बढ़ने की संभावना है।

13 जनवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हो गया है, महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2024 को आखिरी स्नान के साथ कुंभ पर्व का समापन होगा। कुंभ में 13 अखाड़ों के साधु-संतों सहित लाखों श्रद्धालु जमा हो रहे हैं। कुंभ की तैयारी में कितने लोग लगे, कितनी अस्‍थाई नौकरियां इससे पैदा होती हैं, और हर बार ये मेला कितना रेवेन्‍यू पैदा करता है, इस खबर में विस्‍तार से जानेंगे।

केंद्र और कई राज्यों की सरकारों पर आयोजन की तैयारी की जिम्मेदारी

केंद्र सरकार सहित कई राज्यों की सरकारें कुंभ के लिए एक साथ काम करती हैं। 2019 के अर्धकुंभ में 15 राज्यों की सरकारों ने 261 प्रोजेक्ट्स पर काम किया था। राज्य सरकारों के 28 विभाग और केंद्र सरकार के 6 मंत्रालयों पर अर्धकुंभ को आयोजित करने की जिम्मेदारी थी।

मेले के लिए जमीन तैयार की जाती है। इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट, बिजली, पानी, साफ-सफाई की व्यवस्था की जाती है। मेडिकल सर्विसेज, हेल्पडेस्क, कैंप में लाखों लोगों के रहने की व्यवस्था, स्टाल वगैरह के लिए अलग-अलग संस्थानों को जगह का अलॉटमेंट किया जाता है।

साल 2013 के प्रयाग कुंभ के लिए खास तौर पर कुंभ नगरी की बैंक खोली गई। मेले से जुड़े विवादों को निपटाने के लिए अस्थायी कोर्ट खोला गया, कुंभ नगरी के लिए अलग से एक एसपी और एक डीएम की तैनाती हुई।

साल 2013 के प्रयाग कुंभ में इन्फ्रास्ट्रक्चर, फूड, और मेडिकल फैसिलिटी जैसे 8 काम हुए -

  • सड़क, पुल: साल 2013 में 160 किलोमीटर की पक्की सड़कें, 725 मीटर लंबे 18 पैंटून पुल बनाए गए। हर पुल की निगरानी के लिए 3 इंजीनियर्स सहित 35 लोगों की टीम लगाई गई।
  • मेडिकल फैसिलिटी: 22 फर्स्ट-ऐड सेंटर बनाए गए। अलग-अलग सेक्टर्स में 14 एलोपैथिक हॉस्पिटल बने जिनमें 5 से 6 डॉक्टर्स, 6 से 7 नर्स और 20 बेड होते थे। OPD में रोजाना औसतन 250 से 300 मरीज आते थे। एक सेंट्रल हॉस्पिटल बनाया गया। इसमें 60 से 70 डॉक्टर्स और 100 बेड की यूनिट बनाई गई। कुल मिलाकर 250 डॉक्टर्स और 70 एम्बुलेंस लगाई गई थीं।
  • पानी, साफ-सफाई: उत्तर प्रदेश के जल निगम ने प्रति व्यक्ति रोजाना 45 लीटर पानी उपलब्ध करवाया था। इसके लिए 550 किलोमीटर लंबी पानी की पाइपलाइन और 42 पंप सेट्स के जरिए पूरे मेले के दौरान 8 करोड़ लीटर पीने के पानी की व्यवस्था की गई। इसके अलावा जल निगम ने ही 40 हजार पोर्टेबल टॉयलेट्स बनाए गए। जल निगम ने साफ-सफाई के लिए 6 हजार सफाईकर्मी तैनात किए थे, जो हर दिन कुंभ नगरी से 200 टन गंदगी हटाते थे।
  • फूड सप्लाई: 2 लाख राशन कार्ड जारी किए गए थे। 125 राशन की दुकानें खोली गईं, इन पर 16,200 मीट्रिक टन गेहूं, 9,600 टन चावल, 6000 मीट्रिक टन चीनी और 16,200 मीट्रिक टन मिट्टी का तेल बांटा गया।
  • सिक्योरिटी: कुल 30 पुलिस स्टेशन बनाए गए। इनमें 12,500 पुलिसकर्मी, CISF की 36 कंपनी, PAC की 25 कंपनी और 4,500 होमगार्ड तैनात किए गए। कुल 85 CCTV कैमरे लगाए गए।
  • दमकल व्यवस्था: 30 फायर स्टेशन बनाए गए। इनमें कुल 426 दमकलकर्मी, 100 ड्राइवर, 29 फायर ऑफिसर तैनात थे। 55 मोटरबाइक फायर सिस्टम तैनात किए गए।
  • बिजली: 52 इलेक्ट्रिक सब-स्टेशंस बनाकर इनमें दो-दो ट्रांसफार्मर लगाए गए। 45 जनरेटर लगाए गए। इनसे लोगों के कैंपों में कुल 1 लाख, 40 हजार फ्री बजली कनेक्शन दिए गए। कुल 24,000 स्ट्रीट लाइट्स लगाई गईं।
  • ट्रेन, बस, प्राइवेट गाड़ी: नॉर्थ सेंट्रल रेलवे ने 750 स्पेशल ट्रेनें चलाईं। आम ट्रेनों में 800 एक्स्ट्रा कोच लगाए गए। 900 रेगुलर और 3600 स्पेशल बसें चलाई गईं। 9 पार्किंग स्पॉट्स पर 3 लाख कारें खड़ी करने की व्यवस्था की गई।

कुंभ में 13 अखाड़ों के लाखों साधु स्नान करने आते हैं

आम श्रद्धालुओं के अलावा कुंभ मुख्य रूप से संतों और साधुओं का पर्व है। अखाड़े का मतलब है- साधुओं का एक अलग कुनबा। हर अखाड़े के अपने अलग नियम और पूजा पद्धति होती है। कई बार अलग-अलग अखाड़ों के इन नियमों में बड़ा टकराव रहता है।

कुंभ में अलग-अलग अखाड़ों से जुड़े लाखों साधु-संत 2018 में छपी एक रिसर्च- 'द कुंभ मेला एक्सपेरिमेंट' के मुताबिक, 2016 के उज्जैन कुंभ में-

  • 60% तीर्थयात्री पुरुष थे। इनमें से 65% शादीशुदा थे।
  • कुल तीर्थयात्रियों में से 45% ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट थे।
  • करीब 23% लोगों नौकरी करते थे, जबकि 22% लोगों का अपना काम था।
  • 60% से ज्यादा लोग महीने के 10 हजार रुपए कमाते थे।
  • कुल 27% स्टूडेंट्स और कुल श्रद्धालुओं में से 26% घरेलू महिलाएं थीं।
  • सबसे ज्यादा लोग 18 से 25 साल की उम्र और उसके बाद 35-45 साल की उम्र के लोग थे।
  • कुंभ में पूरे एक महीने तक रहने वाले यानी कल्पवास करने वाले लोगों की संख्या सबसे कम थी। इसमें ज्यादातर लोग शादीशुदा और बुजुर्ग थे। हालांकि यह संख्या भी बहुत बड़ी होती है। उदाहरण के लिए 2013 के प्रयाग कुंभ में कुल कल्पवासियों की संख्या 20 लाख थी।

2013 में मेले से 12,000 करोड़ की कमाई

प्रयागराज के रीजनल आर्काइव ऑफिस के रिकॉर्ड्स के अनुसार, 1870 के प्रयाग कुंभ के मेले में ब्रिटिश सरकार ने मेले के मैनेजर को 150 रुपए का इनाम दिया था। साल 1906 में हुए प्रयाग कुंभ से ब्रिटिश सरकार को 10,000 रुपए की कमाई हुई थी, जबकि मेले का बजट 30,000 रुपए था।

2013 में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयाग कुंभ के लिए 1000 करोड़ का बजट रखा था। एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) का अनुमान था कि 2013 के प्रयाग मेले से 12,000 करोड़ का रेवेन्यू आया। इसमें से 1500 करोड़ रुपए की कमाई उत्तर प्रदेश सरकार और रेलवे को हुई।

प्रयाग कुंभ में वेंडर्स से लेकर मेडिकल स्टाफ तक लाखों लोगों को मिलती है नौकरी

नित्यानंद मिश्र अपनी किताब में लिखते हैं कि प्रयाग मेले से असंगठित क्षेत्र के लोगों को बहुत फायदा मिलता है। टेलर, पोर्टर, मैकेनिक, चाय वाले, स्ट्रीट वेंडर्स, रिक्शा चालक, नाव चलाने वाले और कैब ड्राइवर्स जैसे लोगों को मेले से अच्छी कमाई हो जाती है। कुंभ के दौरान कई बड़ी कंपनियां भी सरकार के साथ मिलकर काम करती हैं।

कुंभ से 45,000 परिवारों को मिलेगा रोजगार

प्रयागराज में 4000 हेक्टेयर के इलाके में कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। इस पूरे इलाके को 25 सेक्टर्स में बांटा गया है। हर सेक्टर में 400 से ज्यादा यानी करीब 8000 ऑर्गनाइजेशंस काम कर रहे हैं। इन ऑर्गनाइजेशंस में काम करने वाले कारीगरों और मजदूरों को मेले में अस्थायी शिविरों से लेकर बाकी इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम पूरे करने हैं। कुंभ नगरी में अब तक 25,000 मजदूर काम कर रहे थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2025 के प्रयाग कुंभ से 45 हजार परिवारों को सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। दुकानदारों या मेले के दौरान किसी तरह की सर्विस देने वालों के लिए इस समय प्रयागराज में कई ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। इसमें वेंडर्स, नाव चलाने वाले लोगों और टूरिस्ट गाइड जैसे सर्विस प्रोवाइडर्स को उनके काम से जुड़ी स्किल्स और मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वह मेले में आ रहे तीर्थयात्रियों की जरूरतें अच्छी तरह पूरी कर सकें।

ये खबर भी पढ़ें...

यूपी कॉलेज में नमाज पढ़ने पहुंचे 900 लोग:विरोध में छात्रों ने हनुमान चालीसा पढ़ी; वक्फ बोर्ड के 6 साल पुराने नोटिस पर मचा बवाल

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में उदय प्रताप कॉलेज में बनी एक मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यहां बीते शुक्रवार यानी जुमे के दिन बड़ी तादाद में लोग नमाज पढ़ने पहुंचे। इसके विरोध में 2 दिसंबर को छात्रों ने कॉलेज के गेट पर हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया। पूरी खबर पढ़ें...

.
खबरें और भी हैं...

Local News

Today Weather Update

Our Group Site Links