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बंजर भूमि पर भी होगा बंपर मुनाफा, कैसे करें सांवा की खेती, जानिए कृषि एक्सपर्ट की राय

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सावां एक प्राचीन फसल है, जिसे आमतौर पर असिंचित क्षेत्रों में बोया जाता है. इसकी खासियत यह है कि इसे सिंचाई की कम आवश्यकता होती है, जिससे यह अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभदायक है.

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कैसे करें सांवा की खेती बंजर भूमि पर भी होगा बंपर मुनाफा

मो सरफराज आलम/सहरसा: केंद्र सरकार द्वारा मोटे अनाज को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत, कई बड़ी कंपनियां अब मोटे अनाज के उत्पाद बनाने लगी हैं. इसी दिशा में किसान भी मोटे अनाज की खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं. इनमें से एक प्रमुख फसल सावां है, जिससे किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.

सावां: प्राचीन और लाभदायक फसल
सावां एक प्राचीन फसल है, जिसे आमतौर पर असिंचित क्षेत्रों में बोया जाता है. इसकी खासियत यह है कि इसे सिंचाई की कम आवश्यकता होती है, जिससे यह अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभदायक है. सावां की फसल कम उपजाऊ मिट्टी में भी उगाई जा सकती है और इसका चारा पशुओं के लिए भी उपयोगी होता है.

पोषण का महत्वपूर्ण स्रोत
सावां में चावल की तुलना में पोषक तत्व और प्रोटीन की पाचन योग्यता 40 प्रतिशत तक होती है. इसे बलुई दोमट और दोमट मिट्टी में उगाने के लिए उपयुक्त माना जाता है, जबकि हल्की नम और उष्ण जलवायु इसके लिए सबसे अच्छी होती है.

सरकार का समर्थन और कृषि विशेषज्ञ की सलाह
कृषि विशेषज्ञ अशोक पंडित के अनुसार, सरकार ऐसे किसानों को मदद कर रही है जो मोटे अनाज की खेती करना चाहते हैं. यह खेती कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकती है और इसकी कीटनाशकों की आवश्यकता भी बहुत कम होती है.

पंडित ने बताया कि बाजार में सावां की डिमांड बढ़ रही है और इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं. किसानों को मुफ्त में बीज प्रदान किए जा रहे हैं ताकि वे अधिक से अधिक मोटे अनाज की खेती करें. यदि किसी किसान के पास खाली भूमि है, तो वह सावां या अन्य मोटे अनाज की खेती कर सकता है, जो कि बंजर भूमि पर भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. इस प्रकार, सावां की खेती न केवल किसानों के लिए आर्थिक लाभ का स्रोत बन सकती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है.

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