दिल्ली को 'राबड़ी देवी' मुबारक... आतिशी के दिल्ली का CM बनने पर मांझी के बयान का कोई मायने है? आप भी जान लें
आतिशी मार्लेना को दिल्ली का सीएम बनाए जाने पर जीतन राम मांझी ने ट्विट किया - दिल्ली को राबड़ी देबी मुबारक. क्या इस तुलना का कोई मायने है, पढ़िए इस लेख में.

आतिशी मार्लेना के दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जीतन राम मांझी ने एक आटपटी सी टिप्पणी की है. उन्होंने एक्स पर एक ट्विट किया है – “दिल्ली को राबड़ी मुबारक हो”. हो सकता है कि उन्होंने बिहार में लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की ओर इशारा किया हो. लेकिन इस तरह की टिप्पणी आज के दौर में पूरी तरह अस्वीकार्य है. वैसे भी जीतनराम मांझी विवादित बयान देने के लिए जाने जाते हैं.
ये इस कारण भी घोर आपत्तिजनक है क्योंकि जीतन राम मांझी खुद वंचित वर्ग से आते हैं. उन्हें आतिशी के साथ साथ राबड़ी देवी के सम्मान का भी खास खयाल रखना चाहिए. राबड़ी देवी को किन हालत में लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री बनाया था ये सभी को पता है. लेकिन घर -परिवार चलाने वाली राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री का काम भी अच्छे से ही किया था. हां, ये जरूर हुआ था कि किस्सागो किस्म के लोगों कहानियां कहने सुनने का मसाला जरूर मिलता रहा. घर से निकल कर कुर्सी पर बैठने के बाद राबड़ी देवी ने राजनीतिक अनुभव हासिल किया. अभी भी बिहार के तमाम मसलों पर उनकी प्रतिक्रिया आती रहती है.
दिल्ली को राबड़ी देवी मुबारक हो।@ANI @AHindinews @ArvindKejriwal @AtishiAAP
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) September 17, 2024
आतिशी की बात की जाय तो उन्हें पर्याप्त राजनीतिक अनुभव है. वे लगातार सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रही. आम आदमी पार्टी ने 2020 में पहली बार उन्हें विधायक बनाया. हांलाकि वे मंत्री नहीं बनाई गईं.मंत्री की कुर्सी उन्हें मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद पिछले साल मिली. अरविंद केजरीवाल ने जब मुख्यमंत्री पद छोड़ा तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया.
यहां ये भी खास बात है जो जीतन राम माझी को ध्यान रखनी चाहिए थी, वो ये है कि आतिशी को महज 36 साल की उम्र में दुनिया के प्रतिष्ठित मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें ये सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम के लिए दिया गया है. आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएससी करने के बाद आतिशी ने अपने देश लौट कर शिक्षा के क्षेत्र में काम करना शुरु किया था. इसकी हर ओर सराहना हुई. यही वजह थी कि वे आम आदमी पार्टी से जुड़ी. इस तरह से विदेशी तालीम लेने के बाद भी किसी और देश में जा कर नौकरी करने की बजाय आतिशी ने अपने देश में काम करना पसंद किया.
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी जीतन राम मांझी की टिप्पणी को बिल्कुल गलत बताते हुए कहा कि उनकी तुलना राबड़ी से नहीं करनी चाहिए. वे कहती हैं- “आतिशी अरविंद केजरीवाल की पत्नी नहीं हैं. अगर केजरीवाल ने अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाया होता तो कोई तुलना कर भी सकता था. सुनीता को मुख्यमंत्री की कुर्सी न देकर केजरीवार परिवारवाद से भी बचे हैं.”