पानी नहीं...दूध से होती थी इस खास फल की सिंचाई, स्वाद ऐसा कि हो जाएंगे दीवाने, क्या है इसका इतिहास?
लखनऊ के नवाब फिदा हुसैन ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद के शाह फैसल मस्जिद इलाके से इस आम के पौधे को लेकर आए थे और पटना के दीघा में लगाया था. दुधिया मालदह मूलतः मुल्तानी ब्रीड का आम है.

फाइल तस्वीर
सच्चिदानंद/ पटना:- पतली गुठली, ज्यादा गुदा, पतला छिलका, यह पहचान पटना के दुधिया मालदह की है. आम के सीजन में राजधानी पटना के दीघा क्षेत्र का वर्ल्ड फेमस दुधिया मालदह के स्वाद की कहानी सात समंदर पार भी गूंजती है. फलों के राजा आम की सभी प्रजातियों में सबसे खास दुधिया मालदह है. राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से लेकर इस आम की खेप विदेशों में भी भेजी जाती है. पटना के बिहार विद्यापीठ परिसर स्थित आम के बागान के प्रबंधक प्रमोद कुमार ने लोकल18 को बताया कि एक समय था, जब पूरे दीघा क्षेत्र में इस आम का बागान था. लेकिन कंक्रीट के जंगल बन जाने से बगान सिकुड़कर कुछ इलाकों में ही सिमट कर रह गए हैं.
दूध से होती थी सिंचाई
प्रमोद कुमार ने Local18 को आगे बताया कि लखनऊ के नवाब फिदा हुसैन ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद के शाह फैसल, मस्जिद इलाके से इस आम के पौधे को लेकर आए थे और पटना के दीघा में लगाया था. दुधिया मालदह मूलतः मुल्तानी ब्रीड का आम है. माना जाता है कि नवाब साहब के पास बहुत सारी गायें हुआ करती थी. वह बचे हुए दूध से पौधों की सिंचाई करते थे. एक दिन पेड़ के बड़े होने पर जब उसमें फल आया, तो उससे दूध जैसा पदार्थ निकला. जिसके बाद इसका नाम दुधिया मालदा पड़ गया.
33 देशों में हो चुका है सप्लाई
प्रमोद के अनुसार पिछले सीजन में 33 देशों में यहां से आम भेजा गया था. देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित सभी नेताओं को यहां से आम भेजा जाता है. इसके अलावा अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, दुबई सहित सभी गोल्फ देशों में इस आम के दीवाने हैं और हर साल ऑर्डर आता है. जून के महीने में यह आम पककर तैयार हो जाता है. करीब 100 रुपए प्रति किलो की दर से आम की बिक्री होती है.
ये भी पढ़ें:- केके पाठक के इस फरमान से मचा हड़कंप, अब अधिकारियों को देना होगा ये सर्टिफिकेट, वरना रुक जाएगी सैलरी
पटना में यहां मिलेगा बगीचा
प्रमोद ने बताया कि अपने दादा जी से सुना है कि पहले राजधानी के बोरिंग कैनाल रोड से लेकर दीघा जंगल तक आम का जंगल हुआ करता था. लेकिन अब इस जगह पर कंक्रीट का जंगल बनकर तैयार हो गया है. इस वजह से जंगल सिकुड़कर अब मात्र कुछ जगहों पर ही मौजूद है. राजभवन, बिहार विद्यापीठ, संत जेवियर्स कॉलेज और कुर्जी फैमिली हॉस्पिटल में दुधिया मालदह का आम है. बिहार विद्यापीठ में अभी 50 के आस-पास दुधिया मालदह का पेड़ है. वहीं पूरे पटना में करीब एक हजार पेड़ अभी बच रहा है. इसमें कई पेड़ उस जमाने के भी हैं. यह आम देखने में बिल्कुल सफेद नजर आता है. सभी आमों को अगर एक जगह रख दें, तो जो सबसे ज्यादा सफेद होगा, वही दुधिया मालदह है.