कुछ तो है जो बिहार के इस गांव में नहीं मनती होली, पुए-पकवान पर भी 'बैन', अनोखी परंपरा की रोचक कहानी
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कुछ तो है जो बिहार के इस गांव में नहीं मनती होली, पुए-पकवान पर भी 'बैन', अनोखी परंपरा की रोचक कहानी

Amazing Facts: होली का खुमार इस समय पूरे देश में है, पर आपको बिहार के एक ऐसे गांव के विषय में बताने जा रहे हैं जहां होली नहीं मनाई जाती है. इस गांव के घरों में पुए पकवान भी नहीं बनाए जाते. रंग अबीर की तो बात सोची भी नहीं जाती. आइए जानते है  बिहार के एक ऐसे गांव की कहानी जहां 250 साल से होली नहीं मनाई जा रही है. आखिर ऐसा क्यों है. (रिपोर्ट-अरुण कुमार शर्मा)

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ये गांव बिहार के मुंगेर जिले में साजुआ गांव है. मान्यता यह है  कि होली मानने से गांव में विपदा आती है, इसलिए यहां रहने वाले लोग रंगों के त्योहार से दूर रहते हैं. इस गांव में करीब 2000 लोग रहते हैं, लेकिन कोई भी होली नहीं मनाता है. मान्यता है कि पूरे फागुन में इस गांव के किसी घर में अगर पुआ या छानने वाला कोई पकवान बनता है या बनाने की कोशिश की जाती है तो उस परिवार पर कोई विपदा आ सकती है. इस गांव को लोग सती गांव भी कहते हैं.

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ग्रामीण बताते हैं कि लगभग 250 साल पहले इसी गांव में सती नाम की एक महिला के पति का होलिका दहन के दिन निधन हो गया था. कहा जाता है कि सती अपने पति के साथ जल कर सती होने की जिद करने लगी, लेकिन ग्रामीणों ने उसे इस बात की इजाजत नहीं दी. कहानी आगे बढ़ती है.

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सती अपनी जिद पर अड़ी रही. लोग उसे एक कमरे में बंद कर उसके पति के शव को श्मशान घाट ले जाने लगे, लेकिन शव बार-बार अर्थी से नीचे गिर जाता था. गांव वालों ने जब पत्नी को घर का दरवाजा खोल कर निकाला तो पत्नी दौड़कर पति के अर्थी के पास पहुंचकर कहती है कि मैं भी अपने पति के साथ जल कर सती होना चाहती हूं. इसके बाद की कहानी और दिलचस्प है.

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सती की यह बात सुनकर गांव वालों ने गांव में ही चिता तैयार कर दी. तभी अचानक पत्नी के हाथों की उंगली से आग निकलती है. उसी आग में पति-पत्नी साथ-साथ जल जाते हैं. उसके बाद कुछ गांव वालों ने गांव में सती का एक मंदिर बनवा दिया और सती को सती माता मानकर पूजा करने लगे. तब से इस गांव में होली नहीं बनाई जाती है.

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ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव के लोग फागुन बीत जाने के बाद 14 अप्रैल को होलिका दहन मनाते हैं. हम होली नहीं मनाते हैं. हमारे पूर्वजों के समय से ही ऐसी रीत चली आ रही है. और अगर कोई इस पूरे माह में पुआ या छानकर बनाया जाने वाला पकवान बनाने की कोशिश करता है तो उसके घर में खुद ब खुद आग लग जाती है.

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ग्रामीणों के अनुसार, कहा यह भी जाता है कि इस तरह की घटनाएं कई बार हो चुकी हैं. गांव के चंदन कुमार ने बताया कि हमारे गांव में कोई होली मनाने की कोशिश नहीं करता है.

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चंदन कुमार कहते हैं कि हमारे गांव में सभी जाति के लोग हैं लेकिन कोई होली नहीं मनाता. जो परंपरा चली आ रही है उसे सब मानते हैं. अन्य दिनों की तरह ही लोग होली के दिन भी साधारण भोजन बनाते और खाते है.

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    कुछ तो है जो बिहार के इस गांव में नहीं मनती होली, पुए-पकवान पर भी 'बैन', अनोखी परंपरा की रोचक कहानी

    ये गांव बिहार के मुंगेर जिले में साजुआ गांव है. मान्यता यह है  कि होली मानने से गांव में विपदा आती है, इसलिए यहां रहने वाले लोग रंगों के त्योहार से दूर रहते हैं. इस गांव में करीब 2000 लोग रहते हैं, लेकिन कोई भी होली नहीं मनाता है. मान्यता है कि पूरे फागुन में इस गांव के किसी घर में अगर पुआ या छानने वाला कोई पकवान बनता है या बनाने की कोशिश की जाती है तो उस परिवार पर कोई विपदा आ सकती है. इस गांव को लोग सती गांव भी कहते हैं.

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