शरद पवार की जाल में फंस गईं पंकजा मुंडे, महाराष्ट्र भाजपा परेशान, बगलें झांक रहे अजित पवार!
लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य हैं जहां कई सीटों पर मुकाबले बेहद दिलचस्प देखे जा सकते हैं. सियासी रूप से देश के इस दूसरे सबसे बड़े राज्य में राजनीति के चाणक्य कहलाने वाले शरद पवार बेहद सक्रिय हैं...और पढ़ें

चंद्रकांत फुंडे
पुणे: लोकसभा चुनाव 2024 में 370 सीटों का टार्गेट लेकर चल रही भाजपा महाराष्ट्र की कई सीटों पर चुनौती का सामना कर रही है. वजह एक ही है. राज्य की राजनीति के चाणक्य कहलाने वाले शरद पवार की सक्रियता. शरद पवार बीते कुछ समय से काफी सक्रिय हैं और वह अपने प्रभाव वाले मराठवाड़ा इलाके में चुनावी बिसात बिछाने में लगे हुए हैं. इसमें उनके अपने भतीजे अजित पवार के साथ-साथ विपक्षी भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवार उलझते नजर आ रहे हैं. इसी संदर्भ में आज बीड लोकसभा सीट की चर्चा. शतरंज के खेल में वजीर की चाल की तरह शरद पवार ने यहां से भाजपा की उम्मीदवार पंकजा मुंडे को परेशानी में डाल दिया है.
पंकजा मुंडे भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. गोपीनाथ को महाराष्ट्र में ओबीसी समाज का सबसे बड़ा नेता माना जाता था. बीड उनका कर्मक्षेत्र था. इस सीट से वह कई बार निर्वाचित हुए थे. उनके निधन के बाद यहां से उनकी बेटियां पंकजा और प्रीतम मुंडे विरासत संभाले आ रही हैं. 2019 में प्रीतम यहां से सांसद चुनी गई थीं लेकिन इस बार भाजपा ने उनकी जगह उनकी बड़ी बहन पंकजा को उम्मीदवार बनाया है.
राह में कांटे
शरद पवार ने पंकजा की राह में कांटे बो दी है. ऐसा माना जाता था कि यह मुंडे परिवार का अपना क्षेत्र है और यहां मुकाबला आसान रहेगा. लेकिन, शरद पवार ने राज्य में चल रहे मराठा आंदोलन के जरिए यहां बड़ा खेल कर दिया है. उन्होंने बीड जिले में पंकजा मुंडे के खिलाफ ज्योति मेटे को मैदान में उतारने की जोरदार तैयारी की है. अगर ऐसा होता है तो बीड में सीधे ओबीसी बनाम मराठा की लड़ाई हो जाएगी. ऐसे में समीकरण बदल जाएंगे और पंकजा मुंडे के सामने नई चुनौती खड़ी हो जाएगी.
‘मराठा कार्ड’ खेलेंगे पवार?
बीड लोकसभा बीजेपी के मुंडे परिवार का गढ़ है. लेकिन पवार अच्छी तरह जानते हैं कि अगर ओबीसी और मराठा के बीच लड़ाई हुई तो बीजेपी की सीट खतरे में पड़ सकती है. संभवतः इसीलिए पवार ने दिवंगत मराठा नेता विनायक मेटे की पत्नी ज्योति मेटे को लोकसभा के मैदान में उतारने की तैयारी की है. साथ ही उनका समर्थन करने के लिए बंजरंग सोनावणे को भी पार्टी में शामिल किया गया है. सोनावणे माजलगांव विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं जबकि माविया के टिकट पर ज्योति मेटे बीड लोकसभा के लिए चुनाव लड़ सकती हैं.
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चूंकि बीड में मनोज जारांगे के मराठा आंदोलन का बड़ा असर है, इसलिए ज्योति मेटे को इसका काफी राजनीतिक फायदा मिल सकता है. क्योंकि दिवंगत विनायक मेटे का मराठा आरक्षण संघर्ष में बड़ा योगदान रहा है. आंदोलन के दौरान ही एक हादसे में विनायक मेटे का निधन हुआ था.
बीड में मुंडे परिवार ने अब तक सामूहिक ओबीसी वोट बैंक पर राजनीतिक प्रभुत्व बनाए रखा है. लेकिन, अगर वहां सामने से कोई मराठा उम्मीदवार खड़ा कर दिया जाए तो तुरंत ध्रुवीकरण हो जाएगा और लड़ाई मजेदार हो जाएगी. लेकिन इस दोतरफा मुकाबले में किसी भी उम्मीदवार की जीत में मुस्लिम और दलित मतदाताओं की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है.