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छोले-भटूरे के दीवानों के लिए बेस्ट है ये जगह, 3 घंटे में हो जाते हैं खत्म, तीन गुना होती है कमाई

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राजा ने बताया कि 2018 से हीं  टेस्टी छोले-भटूरे बना रहे हैं. रोजाना 70 से 80 प्लेट छोले-भटूरे बेच लेते हैं. वहीं, सामग्री तैयार करने में प्रतिदिन 400 से 500 तक आटा की लागत होती है. महज तीन घंटे की दुकानदारी में...और पढ़ें

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राजा के हाथ से बने छोले-भटूरे का लोग हैं दीवाने 

दिलीप चौबे/कैमूर. बिहार के कैमूर में भी खाने को एक से एक फूड आइटम मिलने लगे हैं. कैमूर में सुबह के नाश्ते में लिट्टी-चोखा और कचौड़ी-सब्जी के बाद सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला व्यंजन छोले-भटूरे है. अगर आप भी नाश्ते में छोले-भटूरे खाना पसंद करते हैं तो शहर से कुछ दूरी पर राजा अपना स्टॉल लगाते हैं. राजा का स्टॉल शहर और गांव के बीच में स्थित है. जिसके चलते दोनों जगह से लोग यहां छोले भटूरे का स्वाद लेने आते हैं. महज 25 रुपए में राजा स्वादिष्ट छोले-भटूरे खिलाते हैं. राजा ने बताया कि मधुबनी से लोग भभुआ यहां छोले-भटूरे खाने आते हैं.

राजा ने बताया लोगों के बीच डिमांड अधिक रहने की वजह से सुबह सात से पहले हीं दुकान लगा देते हैं. यहां लोगों को सुबह 7 बजे से 10 बजे तक छोले-भटूरे खिलाते हैं. ग्राहकों को कोई परेशानी न हो इसके लिए अधिकांश साम्रागी सुबह जल्दी उठकर हीं तैयार कर लेते हैं. ठेला लगाते ही नाश्ते के लिए लोगों की भीड़ जुटने लगती है. छोले-भटूरे खाने पहुंची अखलासपुर की रहने वाली सुनीता ने बताया कि 6 महीने से राजा की दुकान पर छोले-भटूरे खाने आ रहे हैं. इस तरह का स्वाद कहीं नहीं मिला. राजा काव्यवहार भी अच्छा है और पूरी सफाई से खिलाते हैं. वहीं, स्थानीय सुनील कुमार यादव ने बताया कि यहां के छोले-भटूरे का स्वाद बेहद लाजवाब है. इसलिए शहर की दुकानों को छोड़कर लोग यहां खाने के लिए आते हैं.

तीन घंटे में लागत से दोगुनी कमाई
राजा ने बताया कि वह छोले-भटूरे बनाने में दक्ष हो गए हैं और इसका लाभ उनके खुद के व्यवसाय में मिल रहा है. भटूरे बनाने में आटा और मैदा और छोले बनाने में काबुली चना का इस्तेमाल करते हैं. साथ हीं इसको बनाने में घर पर तैयार मसाले का हीं इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि छोले-भटूरे में सबसे बड़ी बात यह है कि भटूरे बनाते समय गुणवत्ता का काफी ख्याल रखना होता है. राजा ने बताया कि 2018 से हीं टेस्टी छोले-भटूरे बना रहे हैं. प्रतिदिन 70 से 80 प्लेट छोले-भटूरे बेच लेते हैं. वहीं, सामग्री तैयार करने में प्रतिदिन 400 से 500 तक आटा लगता है. महज तीन घंटे की दुकानदारी में लागत से दोगुना कमाई हो जाती है. ग्राहकों को दो पीस भटूरे के साथ चटकदार छोले के अलावा सलाद और अचार लोगों को परोसते हैं. वहीं साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखते हैं.

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