नालंदा का कश्मीरी चक बनेगा पर्यटन स्थल... युसुफ शाह चक ने बसाया था नगर, अकबर ने रिहा करते हुए रखी थी ये शर्त
युसुफ शाह चक ने रिहाई के बाद नालंदा स्थित इस्लामपुर की ओर रुख किया. यहीं कश्मीरी चक नाम से एक नगर बसाया. नालंदा के इस्लामपुर थाना से बेशवक का रास्ता शेख अब्दुल्ला रोड से होकर गुजरता है.

Kashmiri chak News Nalanda
मो.महमूद आलम/नालंदा: बेशवक गांव को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की स्वीकृति मिल गई है. इससे ग्रामीणों में हर्ष का माहौल बना हुआ है. नालंदा के इसलामपुर प्रखंड के बेश्वक पंचायत के कश्मीरी चक स्थित कश्मीर के अंतिम शासक यूसुफ शाह चक के मज़ार पर चादर पोशी करने J&K कीपूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती वहां पहुंची.
चादर पोशी के उपरांत उन्होंने नालंदा जिलाधिकारी से पुछा कि इसका आस्ताना क्यों खुला हुआ है. घेराबंदी नहीं हुई है. बड़ी संख्या में कश्मीर के लोग यहां आना चाहते हैं. इसपर जिलाधकारी ने कहा कि एक करोड़ 38 लाख के राशि घेराबंदी के लिए स्वीकृत हुई है.
पूर्व CM महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा था ?
इसपर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 4 एकड़ से अधिक जमीन जो बिल्कुल खाली पड़ी है. उसके लिए इतने छोटी रकम से क्या होगा. मज़ार को अच्छे से बनवाएं. उन्होंने यहां पार्क और जरूरत के हिसाब से टूरिज्म डिपार्टमेंट को टूरिस्ट प्लेस की तरह विकसित करने की लिए कहा. जिलाधिकारी ने कहा कि ऊपर बात कर आगे कार्य किया जाएगा. इसपर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आज ही हम पटना लौटने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात कर इसे विकसित करने का मांग करेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अगर नीतीश के शासन में यह नहीं होगा तो कब होगा. आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री विपक्षी एकता बैठक में शामिल होने के लिए पटना आई है.
युसूफ शाह अंतिम समय में आए थे यहां
आजाद कश्मीर के अंतिम शासक युसूफ शाह अपने आखिरी दिनों में इस्लामपुर आए और यहीं के होकर रह गए थे. शासक युसूफ शाह का मकबरा इस बात का प्रमाण है कि कश्मीर के बाद वे इस्लामपुर आए थे. वहीं उनकी पत्नी हब्बा खातून भी अंतिम समय में बिहार आईं थी और उन्होंने अंतिम सांस इस्लामपुर में ही ली थी. युसुफ शाह चक के मकबरे के पास हब्बा खातून का भी मकबरा है.
जानिए क्या है कहानी
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दोनों के मजार पर चादर पोशी करते हुए दरूद फातिहा पढ़ी. कश्मीरी चक का इतिहास भारत के शासक अकबर के जमाने से जुड़ा है. मुगल शासक अकबर पूरे भारत के साथ आजाद कश्मीर पर भी अपनी सत्ता काबिज करना चाहते थे. साल 1586 में अकबर ने अपने 1 लाख सैनिकों के साथ कश्मीर पर हमला करने की तैयारी शुरू कर दी. उस वक्त कश्मीर के शासक युसूफ शाह चक को इस बात की भनक लग गई. युसुफ शाह चक काफी पढ़े-लिखे और ज्ञानी शासक थे. युसूफ शाह चक को अकबर द्वारा हमले की जानकारी मिली तो वे खुद अकबर से मिलने उनकी राजधानी आगरा पहुंच गए थे वो भी बिना किसी सैन्य तैयारी के.
युसुफ शाह चक को कर लिया था गिरफ्तार
आगरा में अकबर से मुलाकात के दौरान ही युसुफ शाह चक को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें बंगाल प्रांत के सेनापति मान सिंह को सौंप दिया गया. बाद में मान सिंह ने अकबर से उनकी रिहाई की सिफारिश की. अकबर ने सिफारिश मानकर युसुफ शाह चक को रिहा तो कर दिया, लेकिन शर्त यह रखी कि वह दोबारा कश्मीर नहीं जाएंगे. इसके बाद उन्होंने नालंदा स्थित इस्लामपुर की ओर रुख किया. यहीं कश्मीरी चक नाम से एक नगर बसाया. नालंदा के इस्लामपुर थाना से बेशवक का रास्ता शेख अब्दुल्ला रोड से होकर गुजरता है.