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Birthday Ram Vilas Pawan : रामविलास पासवान का वो रिकॉर्ड अब तक कोई नेता नहीं तोड़ पाया

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Birthday Ram Vilas Pawan : रामविलास पासवान का आज जन्मदिवस है. उन्होंने कोई दो दशक पहले लोक जनशक्ति पार्टी बनाई, जो बिहार में एक ताकत बनकर उभरी. पासवान तेजतर्रार नेताओं में गिने जाते थे. सियासी हवा को समझने की उ...और पढ़ें

Birthday : रामविलास पासवान का वो रिकॉर्ड अब तक कोई नेता नहीं तोड़ पाया
राम विलास पासवान (wiki commons)

बिहार से ताल्लुक रखने वाले दिग्गज नेता रामविलास पासवान का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 05 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया में हुआ था. 74 साल की उम्र में तीन साल पहले उनका निधन हुआ. पासवान में राजनीतिक माहौल भांपने की गजब की काबिलियत थी. वह जबरदस्त संभावना के साथ सियासत में उभरे थे. सियासी हवा बखूबी पहचानने में दूसरे नेताओं से कहीं आगे थे. यही वजह थी कि उन्होंने 06 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया. लंबे समय तक केंद्र में मंत्री रहे.

रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी बनाई. इस दल का अध्यक्ष अपने अंतिम दिनों में बेटे चिराग पासवान को बना दिया. हालांकि उनके निधन के बाद ये पार्टी भी टूट का शिकार हुई.

1. रामविलास पासवान के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 के दशक में बिहार विधानसभा के सदस्य के तौर पर हुई और आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनावों से वह तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने हाजीपुर सीट पर चार लाख मतों के रिकार्ड अंतर से जीत हासिल की. ये रिकॉर्ड अब तक कोई नहीं तोड़ पाया. इसके बाद वह 1980, 1989, 1991 (रोसड़ा), 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में फिर से सांसद चुने गए थे.

2. 1989 में जीत के बाद वह वीपी सिंह की कैबिनेट में पहली बार शामिल किए गए. उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया. एक दशक के भीतर ही वह एचडी देवगौडा और आईके गुजराल की सरकारों में रेल मंत्री बने.

3. 1990 के दशक में जिस ‘जनता दल’ धड़े से पासवान जुड़े थे, उसने भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ दिया. वह संचार मंत्री बनाए गए. बाद में अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वह कोयला मंत्री बने.

4. बाबू जगजीवन राम के बाद बिहार में दलित नेता के तौर पर पहचान बनाने के लिए उन्होंने आगे चलकर अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की स्थापना की. वह 2002 में गुजरात दंगे के बाद विरोध में राजग से बाहर निकल गए. कांग्रेस नीत संप्रग की ओर गए. दो साल बाद ही सत्ता में संप्रग के आने पर वह मनमोहन सिंह की सरकार में रसायन एवं उर्वरक मंत्री नियुक्त किए गए.

5. संप्रग-दो के कार्यकाल में कांग्रेस के साथ उनके रिश्तों में तब दूरी आ गयी. जब 2009 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार के बाद उन्हें मंत्री पद नहीं मिला. पासवान अपने गढ़ हाजीपुर में ही हार गए थे.

6. साल 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जदयू के अपने पाले में नहीं रहने पर पासवान का खुले दिल से स्वागत किया और बिहार में उन्हें लड़ने के लिए सात सीटें दी. लोजपा छह सीटों पर जीत गयी. पासवान, उनके बेटे चिराग और भाई रामचंद्र को भी जीत मिली.

7. नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में खाद्य, जनवितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के रूप में पासवान ने सरकार का तब भी खुलकर साथ दिया, जब उसे सामाजिक मुद्दों पर आलोचना का सामना करना पड़ा. जन वितरण प्रणाली में सुधार लाने के अलावा दाल और चीनी क्षेत्र में संकट का भी प्रभावी तरीके से उन्होंने समाधान किया.

8. वह वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़े थे. उनके छोटे भाई और बिहार के मंत्री पशुपति कुमार पारस हाजीपुर से जीते. हालांकि वो इसके बाद राज्यसभा के जरिए संसद में पहुंचे. उन्हें सियासी मौसम का एक्सपर्ट भी माना जाता रहा है.

9. पासवान बिहार के खगरिया जिले के शाहरबन्नी गांव से हैं. वह एक अनुसूचित जाति परिवार के लिए पैदा हुए थे. उन्होंने दो शादियां की. 1960 के दशक में राजकुमारी देवी से शादी की. 2014 में उन्होंने खुलासा किया कि लोकसभा नामांकन पत्रों को चुनौती देने के बाद उन्होंने 1981 में उन्हें तलाक दे दिया था. उनकी पहली पत्नी राजकुमारी से उषा और आशा दो बेटियां हैं.

10. 1983 में, अमृतसर से एक एयरहोस्टेस और पंजाबी हिंदू रीना शर्मा से विवाह किया. उससे उन्हें एक बेटा और बेटी है. उनके बेटे चिराग पासवान एक अभिनेता से राजनेता बने हैं.

11. पासवान ने कानून में ग्रेजुएशन किया था. बाद में उन्होंने एमए की डिग्री भी हासिल की थी. 1969 में बिहार पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के तौर पर उनका चयन हो गया था. उसी वर्ष संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर वह पहली बार विधायक बने थे.

12. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत के बारे में रामविलास पासवान ने एक बार दिलचस्प जिक्र किया था. उन्होंने बताया था, ”1969 में मेरा पुलिस और विधानसभा, दोनों में एक साथ सिलेक्शन हुआ. तब मेरे एक मित्र ने पूछा कि बताओ सरकार बनना है या सर्वेंट? तब मैंने राजनीति चुन ली.”

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