अलौकिकः एक ही जगह गर्म और ठंडे पानी का कुंड, यहीं मां सीता ने दी अग्निपरीक्षा, राम के नाम से भी ताल
Munger Mystery Jal kund: बिहार के मुंगेर का प्राचीन नाम 'मुद्गलपुरी' है. यहां रामायण काल से जुड़े कई स्थल आज भी मौजूद हैं. यहां एक सीताकुंड है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी और यहीं बाद में गर्म जलधारा का कुंड बन गया. सीताकुंड रामतीर्थ के नाम से भी जाना जाता है. इसका उल्लेख आनंद रामायण में मिलता है. मुंगेर गजेटियर में भी इसकी चर्चा माता सीता के अग्नि परीक्षा स्थल के रूप में की गई है. (फोटो- अरुण कुमार शर्मा)

मुंगेर के सीताकुंड को लेकर मान्यता यह है कि भगवती सीता ने अपनी पवित्रता प्रमाणित करने के लिए यहां अग्नि परीक्षा दी थी. अग्नि परीक्षा के बाद प्रज्ज्वलित अग्नि गर्म जल में परिणत हो गई. इस कारण से सीताकुंड का जल हमेशा गर्म रहता है. सीताकुंड के अलावा भगवान राम समेत चारों भाइयों के नाम पर बनाए गए कुंड का पानी शीतल रहता है.

सीताकुंड बिहार में पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है. पौराणिक मान्यता से जुड़े होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और सीताकुंड के गर्म जल में स्नान कर मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. यहां एक माह तक चलने वाला माघी मेला का भी आयोजन होता है.

जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर सदर प्रखंड में स्थित सीताकुंड मंदिर की जन श्रुति त्रेतायुग के कथा से जुड़ी है. धार्मिक मान्यता है कि मां सीता ने इसी जगह अग्नि परीक्षा दी थी. मान्यता के अनुसार, जब राम रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे तब उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लगा था.

भगवान राम को कुंबोधर ऋषि ने सलाह दी थी कि रावण के वध से आप को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा है. सारे तीर्थ स्थलों का भ्रमण करने से ही इस पाप से मुक्ति मिल सकती है. इसके बाद राम सीता के साथ अपने अन्य तीन भाई लक्षण, भरत और शत्रुघ्न के साथ मुंगेर पहुंच मुद्गल ऋषि के आश्रम में रुके थे.

यही मुद्गल आश्रम वर्तमान में सीताचरण मंदिर एवं कष्टहरणी घाट के रूप में प्रसिद्ध है. यहां मां सीता ने छठ व्रत किया था. पुजारी नागेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि मान्यता है कि मुद्गल आश्रम में ऋषियों ने सभी के हाथों प्रसाद ग्रहण किया, लेकिन रावण द्वारा हरण किए जाने के कारण सीता के हाथ से प्रसाद ग्रहण नहीं किया.

इसके बाद ऋषियों के द्वारा कहे जाने के बाद मां सीता ने इसी जगह पर अग्नि कुंड बनवाया और अग्नि परीक्षा देकर अपनी पवित्रता सिद्ध की थी. उसी कुंड में अपने पसीने की तीन बूंदें छिड़ककर उस अग्नि कुंड को गर्म जलधारा के कुंड में परिवर्तित कर दिया था. जिसमें आज भी पवित्र गर्म जल प्रवाहित हो रहा है.

इसके अलावा यहां अन्य चार कुंड भी बने हैं; जिसे भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ने अपने बाणों से बनाया था. आश्चर्य तो यह है कि सीताकुंड के आसपास होने के बावजूद इन कुंडों का जल बिल्कुल ठंडा रहता है.

मुंगेर गजेटियर में भी सीता कुंड की चर्चा की गई है. इसे माता सीता के अग्नि परीक्षा स्थल के रूप में बताया गया है. सीताकुंड में एक माह तक चलने वाला माघी मेला का आयोजन होता है.

मुस्लिम समुदाय के लोग भी इस मेले को सफल बनाने में अपना पूरा योगदान देते दिखते हैं. इसके कारण सीताकुंड का माघी मेला सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है.

मुंगेर माघी मेला की एक और खासियत है कि यहां सस्ते दाम में फर्नीचर खरीदने का मौका मिलता है. इसके लिए साल भर लोग सीताकुंड के माघी मेला का इंतजार करते हैं. लकड़ी के बने फर्नीचरों की खरीदारी शुरू हो गयी है. खाली मैदान में लकड़ी के 10 से 15 बड़े कारोबारियों ने बाजार लगाया है.

माघी मेला इस बार 4 फरवरी को शुरू होगा. इसमें मुंगेर ही नहीं, बल्कि आस-पड़ोस के जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.

यहां लोग पूजा अर्चना के साथ साथ बच्चों का मुंडन करवाने भी आते हैं. इसके अलावा पारंपरिक कर्मकांड भी किया जाता है.