लॉकडाउन में किया सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल, पटना के 'ब्लड मैन' को मिल रहा राष्ट्रीय युवा पुरस्कार
Blood Man Arunesh Mishra: 24 साल के अरुणेश मिश्रा को युवाओं को दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कार 'राष्ट्रीय युवा पुरस्कार' के लिए चयनित किया गया है. अरुणेश ने कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के समय सोशल मीडिया की मदद स...और पढ़ें

रिपोर्ट: सच्चिदानंद
पटना. पटना विश्वविद्यालय में बीएड की पढ़ाई कर रहे 24 साल के अरुणेश मिश्रा को युवाओं को दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कार ‘राष्ट्रीय युवा पुरस्कार’ के लिए चयनित किया गया है. अरुणेश ने कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के समय सोशल मीडिया की मदद से कई लोगों तक ब्लड पहुंचाया था.
यह पुरस्कार कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान लोगों को मदद पहुंचाने, रक्तदान के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने, पर्यावरण और वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में किए गए सामाजिक कार्य और एनिमल केयर क्षेत्र में किए गए उनके कार्यों को लेकर दिया जा रहा. लोग इन्हें ‘ब्लड मैन’ के नाम से पुकारते हैं.
साल 2015 के बाद यह पुरस्कार बिहार के किसी युवा को मिल रहा है. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अरुणेश इस समय कर्नाटक के हुबली में मौजूद हैं. न्यूज 18 से अरुणेश ने खास बातचीत की. इस बातचीत का कुछ अंश पढ़िए.
कौन बना प्रेरणास्त्रोत
2015 में उनकी तबियत बहुत ज्यादा खराब हुई. उस वक्त उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत आ रही थी. इसके बाद उनके पिता ने शहर के कई बड़े-बड़े डॉक्टरों से दिखलाया, लेकिन कुछ खास सुधार नहीं हो पा रहा था. फिर उनके पिताजी ने उन्हें पद्मश्री डॉ.सीपी ठाकुर से दिखाया. इसके बाद अरुणेश की तबीयत में सुधार आया और वह अक्सर सीपी ठाकुर के क्लिनिक जाने लगे. और इस दौरान उन्होंने देखा डॉक्टर साहब बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद करते हैं. जिससे अरुणेश काफी प्रभावित हुए और यहां से समाज की सेवा करने का भाव आया. अरुणेश ने बताया कि डॉक्टर साहब से उन्होंने सीखा कि ऊंचाइयों तक पहुंच जाने के बाद अपनी विनम्रता और जड़ों को पकड़ कर रखना चाहिए.
कैसे की इस अभियान की शुरुआत?
अरुणेश को कविताएं लिखने का शौक है और वो सोशल मीडिया पर लिखा करते थे. 2015 में एक घटना घटी जिसमें उनके कोई जानने वाले करबिगहिया के रेलवे हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे. उस वक्त उन लोगों को एक यूनिट ब्लड की जरूरत थी. हालांकि उस वक्त अरुणेश 18 वर्ष से कम के थे. इस कारण वे दान नहीं कर सकते थे. इसके बाद उन्होंने इस जरूरत हो फेसबुक पर पोस्ट किया और फिर 3 दिनों के बाद उन्हें पता चला कि किसी अनजान व्यक्ति ने उनके फेसबुक पोस्ट को देखकर जरूरतमंद इंसान को ब्लड जाकर डोनेट किया है. इसके बाद अरुणेश को लगा कि सोशल मीडिया को माध्यम बना कर जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाई जा सकती हैं.
खड़ी की सोशल मीडिया की फौज
अरुणेश ने बताया कि 2019 में उन्होंने ट्विटर पर ब्लड सेवा परिवार के नाम से हैंडल बनाया और लोग इससे जुड़ने लगे. इसी बीच कोरोना की पहली लहर आ गयी. देश में लॉकडाउन लग गया. इस दौरान इस हैंडल पर जरूरतमंदों के मैसेज आने लगे. इस हैंडल से कई जाने माने हस्तियों को भी अरुणेश ने मदद पहुंचाई. 24 साल के अरुणेश ने अब तक 19 बार ब्लड डोनेट किया है. इन्होंने कहा कि यह सम्मान किसी एक व्यक्ति को समर्पित नहीं कर सकता, क्योंकि इस कार्य में मेरे साथ कई लोग जुड़े हैं.