प्रकति है तो हम हैं, World Environment Day पर ये जरूरी बातें आपको पता होनी ही चाहिए
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प्रकति है तो हम हैं, World Environment Day पर ये जरूरी बातें आपको पता होनी ही चाहिए

World Environment Day 5 June 2021: पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विश्वभर में लोगों को कुछ सकारात्मक गतिविधियाँ के लिए प्रोत्साहित और जागरुक करने से जुड़ा ये दिन बेहद खास है. अब, यह 100 से भी अधिक देशों में लोगों तक पहुंचने के साथ बड़ा वैश्विक मंच बन गया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: आज विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) है. पर्यावरण को समर्पित इस दिन सभी को अपनी भागीदारी निभाने का संकल्प लेना चाहिए. पर्यावरण (Environment ) को लेकर हम जागरुक तो हैं, लेकिन फिर भी कहीं कसर रह गई है. आज जब दुनिया के किसी न किसी हिस्से में आए दिन कुदरत के कहर से हुई विनाशलीला की खबरें और तस्वीरें देखने को मिलती हैं तो सवाल ये उठता है कि क्या ये सब रोका जा सकता है. ऐसे में पर्यावरण के प्रति जागरुक रहने और दूसरों को जागरुक करने से पहले पर्यावरण के बारे में फैले कुछ संदेह दूर कर लेने चाहिए.

  1. ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज दोनों के अलग पहलू
  2. कड़ाके की ठंड फिर ग्लोबल वार्मिंग पर असर नहीं होता
  3. सिंगल यूज प्लास्टिक भी हमारे पर्यावरण के लिए सही नहीं

'थीम प्रमोशन ऑफ बॉयोफ्यूल'

इस साल की बात करें तो इसकी थीम बेहतर पर्यावरण के लिए बॉयोफ्यूल का प्रसार (Promotion of biofuels for better environment.) रखी गई है. वातावरण की सुरक्षा के लिए विश्वभर में लोगों को कुछ सकारात्मक गतिविधियाँ के लिए प्रोत्साहित और जागरुक करने के लिए यह दिन संयुक्त राष्ट्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है. अब, यह 100 से भी अधिक देशों में लोगों तक पहुँचने के लिए बड़ा वैश्विक मंच बन गया है.

पीएम मोदी का संबोधन 

आज के इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) एक कार्यक्रम के जरिए भारत की कोशिशों के बारे में देश और दुनिया को जानकारी देंगे. इसी दौरान प्रधानमंत्री उन किसानों से भी वर्चुअल संवाद करेंगे जो अपने कृषि कार्यों में एथेनॉल (Ethanol) और बॉयोफ्यूल (Biofuel) का इस्तेमाल करते हैं.

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'ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज एक ही बात नहीं हैं'

Global warming और Climate change दोनों एक ही बात नहीं है, लेकिन अक्सर इन्हें एक जैसा ही समझा जाता है. ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों (Green House Gas) की बढ़ती सांद्रता के कारण पृथ्वी की सतह का तापमान (Temprature of Earth) बढ़ जाना. 

ये क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का वो पहलू है, जो समुद्र स्तर बढ़ने (Sea level rise), ग्लेशियरों के पिघलने (Melting of Glaciers), उष्णकटिबंधीय तूफानों (Tropical cyclone) के बढ़ने, कोरल रीफ (Coral reef) के घटने और भयानक गर्मी के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग के रूप में सामने आता है. ये सभी घटनाएं मुख्य रूप से मानव द्वारा किए गए कामों का परिणाम होती हैं. 

आप कई तरह से कार्बन फुटफ्रिंट छोड़ते हैं

कार्बन फुट प्रिंट (Carbon Footprint) से पर्यावरण पर आपके प्रभाव की गणना की जाती है. एक व्यक्ति, संगठन, समुदाय या फिर किसी देश के कार्बन फुट प्रिंट, ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा है. मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड, जिसे उनकी गतिविधियों के परिणामस्वरूप वायुमंडल में छोड़ा जाता है.

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इसलिए अगर आप काम पर गाड़ी चलाकर जाते हैं, जिसमें चलने के बजाय ईंधन जलता है, स्थानीय उत्पादों को खरीदने के बजाए वो सामान खरीद रहे हैं जिन्हें बाहर से लाना पड़ता है, प्लास्टिक को रीसाइकिल करने के बजाए उन्हें इस्तेमाल करके फेंक रहे हैं, तो आप एक कार्बन फुटप्रिंट छोड़ रहे हैं.

कुछ न भी जलाएं, तो भी होता है कार्बन उत्सर्जन

आपकी पसंद अप्रत्यक्ष रूप से वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन कर सकती है. अगर आप काम पर जाने के लिए ड्राइव करते हैं या कैब लेते हैं, तो आप जिम्मेदार हैं. अगर आप मांसाहारी हैं, तो आप जिम्मेदार हैं. मीट उत्पादन से मीथेन उत्सर्जन के सबसे बड़े कारणों में से एक है. ट्रेन उपलब्ध होने के बावजूद भी अगर आप कम दूरी के लिए फ्लाइट लेते हैं तो आप जिम्मेदार हैं. 

क्या आप अपने प्लास्टिक के कचरे को रीसाइकिल नहीं करते और हर मौसम में घर या अपने दफ्तर में एयर कंडीशनर (AC) का इस्तेमाल करते हैं तो आप जिम्मेदार है. आखिरकार ये सब भी आपकी ही पसंद के मामले ही तो हैं.

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ज्यादा टूरिज्म भी सही नहीं

लोगों को घूमना फिरना बड़ा अच्छा लगता है. पर्यटन से आय उत्पन्न होती है. ये रोजगार भी देता है. कोरोना काल में भले ही इस सेक्टर पर बुरा असर पड़ा हो लेकिन जो पहले हो चुका है या आगे जब जिंदगी पटरी पर लौटेगी तब भी हमें इस सेक्टर में हो रहे अतिरेक को रोकना होगा. क्योंकि अक्सर गैर-जिम्मेदार पर्यटक लुप्तप्राय वातावरण और स्थानीय हैरिटेज साइट को प्रदूषित करते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं? 

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वहीं सैलानियों की आमद उस क्षेत्र की क्षमता से ज्यादा हो जाती है, तो वहां के प्राकतिक संसाधन बुरी तरह प्रभावित होते हैं. उदाहरण के लिए भारत की बात करें तो यहां लेह और शिमला जैसे बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट कई सालों से पानी के संकट से जूझ रहे हैं. ये भी ज्यादा टूरिज्‍म का परिणाम हैं.

'बंद हो सिंगल यूज प्लास्टिक'

जैसा कि नाम से ही पता चलता है, सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastic) वाली चीजें डिस्पोजेबल प्लास्टिक पानी की बोतलें, पैकिंग, बैग, डिस्पोजेबल रेज़र, स्ट्रॉ, ईयरबड, फूड कंटेनर- ये सभी सिंगल यूज प्लास्टिक हमारे महासागरों में इकट्ठे हो जाते हैं इन्हें नष्ट होने में सदियों का समय लग जाता है. प्लास्टिक की एक बोतल को गलने में 500 साल लगते हैं. 

विशेषज्ञ भी इन्हें दोबारा इस्तेमाल न करने की सलाह देते हैं क्योंकि अगर उन्हें बार-बार इस्तेमाल किया जाता है तो वे हानिकारक रसायन छोड़ सकते हैं. किसी किसी में तो कार्सिनोजेनिक गुण भी हो सकते हैं. इसका एक ही समाधान है- बायोडिग्रेडेबल अपनाएं.

आज ही के दिन दुनिया भर में कई शहरों में पेंटिंग, ड्राइंग या क्विज प्रतियोगिताओं के आयोजन के जरिए बच्चों को भी जागरूक किया जाता है. ऐसे में हम सब भी अपने हिस्से का योगदान करके धरती को हरा-भरा बनाने के साथ अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं. 

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