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कर्नाटक में कोविड मैनेजमेंट:बेंगलुरू में संक्रमण दर 34%, पर टेस्टिंग बढ़ाकर मृत्युदर थाम ली; सबसे ज्यादा कोराेना के मामलों वाले शहर में मौतें बेहद कम

बेंगलुरू3 वर्ष पहलेलेखक: मनोरमा सिंह
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देश में कोरोना के सर्वाधिक मामले बेंगलुरु में दर्ज हो रहे हैं, यहां संक्रमण दर भी 34% से ज्यादा है। राहत की बात यह है कि यहां मौतों का आंकड़े को काफी हद तक कम कर लिया गया है। बेंगलुरु में 3.6 लाख एक्टिव केस हैं, यह देश के किसी भी शहर की तुलना में सबसे ज्यादा है। यह मुंबई के 36,595 की तुलना में करीब 10 गुना है। बेंगलुरु में मृत्युदर 0.9% है, जबकि मुंबई में यह 2.1% है।

हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से मिली सफलता
शहर में करीब 94 सरकारी अस्पताल हैं, जिसे नगरपालिका चलाती है। साथ ही अपोलो, मनिपाल, नारायणा जैसे वर्ल्ड क्लास निजी अस्पतालों की चेन भी है। दूसरी वजह है- यहां सरकार जल्दी बीमारी पता करने और जल्दी इलाज शुरू करने के मंत्र के साथ काम कर रही है। इसके लिए टेस्टिंग बड़े पैमाने पर हो रही है। अकेले बेंगलुरु में हर रोज औसतन 90 हजार टेस्ट हो रहे हैं। हालांकि इन दिनों किट की कमी के चलते टेस्टिंग प्रभावित हुई है।

दो कदम जिनसे मौतों की रफ्तार पर काबू पाया गया
1. लिक्विड ऑक्सीजन उत्पादन की 7 यूनिट, सालभर में क्षमता 300 से 812 मीट्रिक टन
पहली लहर के बाद से ही राज्य सरकार ने ऑक्सीजन क्षमता पर काम किया। कर्नाटक में 7 लिक्विड ऑक्सीजन उत्पादन यूनिट है। एक साल में इनकी क्षमता 300 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 812 मीट्रिक टन की। केंद्र से मिल रही ऑक्सीजन की वजह से भरपाई पूरी हो रही है।

ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए झारखंड से 120 टन और बहरीन से 40 टन ऑक्सीजन मंगाई गई। इससे पहले भी विदेश से ऑक्सीजन की एक खेप आ चुकी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने बताया कि तालुका स्तर पर 2,480 डॉक्टर और विशेषज्ञ भर्ती किए जा रहे हैं।

2. पहले माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए, फिर नाइट कर्फ्यू, जरूरत पर लॉकडाउन भी
दूसरी लहर के साथ ही सरकार ने माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित करने, रात और वीकेंड कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन का फैसला लेने में देर नहीं की। ये सब कदम 10 मई से घोषित पूर्ण लॉकडाउन से पहले के एहतियाती कदम है। कई कंटेनमेंट जोन में पुलिस की भी तैनाती हुई, जिन्होंने उस मोहल्ले के लोगों का घर से बाहर न निकलें, यह सुनिश्चित हो सके। साथ ही इंदिरा कैंटीन के माध्यम से कन्टेनमेंट जोन के गरीब लोगों को खाना भी मुहैया कराया गया। वहीं, राज्य में प्रत्येक तालुका अस्पताल में 50 ऑक्सीजन वाले बेड और छह वेंटिलेटर भी दिए जाएंगे।

वह तीन बातें, जिनसे स्थिति बिगड़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा

  • 18-44 साल के लोगों के लिए टीकाकरण 1 मई के बजाय 10 मई से शुरू हुआ, क्योंकि टीके नहीं थे। इस दिन 3.5 लाख वैक्सीन के स्टॉक के साथ केवल दस हजार लोगों को टीका लगा। राज्य में 18-44 साल के लोगों की आबादी 3.2 करोड़ है, जिनके लिए 6.5 करोड़ टीके चाहिए।
  • कोरोना संकट के बीच राजनीतिक अस्थिरता भी चिंता की एक वजह है। नेतृत्व परिवर्तन को लेकर बेंगलुरु में चर्चाएं हैं, इसी सिलसिले में सीएम बीएस येदुरप्पा के दिल्ली जाने की भी संभावना है। ऐसे में मुख्यमंत्री का ज्यादा ध्यान कोरोना के बजाय कुर्सी बचाने पर भी है।
  • पिछले दो दिन से नए संक्रमण की संख्या में गिरावट दर्ज हो रही है। कर्नाटक सरकार द्वारा गठित कोविड वॉर रूम के बावजूद कई मरीजों तक मदद समय पर नहीं पहुंची।
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