राजस्थान के गांवों से ग्राउंड रिपोर्ट:घर-घर में सर्दी-खांसी के मरीज, झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा; तड़पते हुए एक के बाद एक दम तोड़ रहे

नागौर3 वर्ष पहलेलेखक: मनीष व्यास
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  • गांवाें में फैल रहा कोरोना, सरपंचों ने अपने स्तर पर कर्फ्यू लगाया, गांव से बाहर निकले तो 11 हजार जुर्माना

कोरोना के चलते शहरों में अंतिम संस्कार के लिए लगी कतारों के बीच अब गांवों के हालात भी बेहद खराब हो चुके हैं। ग्राउंड रियलिटी जानने के लिए हम राजस्थान के नागौर जिले के तीन गांवों बडू, जंजीला और हरनावां में पहुंचे।

हर गांव में 5 से 12 हजार तक की आबादी है। इन सभी गांवों में पिछले 15 दिन से मौतें अचानक बढ़ गई हैं। बडू में 19, जंजीला 17 और हरनावां में 13 मौतें मिलाकर अब तक तकरीबन 49 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से महज 18 ही कन्फर्म्ड कोरोना पॉजिटिव थे। बाकी मरने वाले सभी 31 लोग खांसी-बुखार से पीड़ित थे। क्या इन्हें कोरोना था? टेस्ट ही नहीं हुए तो कैसे पता चले।

क्या कोई दवा ली? कैसे लेते- सरकारी व्यवस्था बदहाल है, निजी अस्पतालों में गरीब जा नहीं पाते, सिर्फ झोलाछाप के भरोसे हैं। आप हालात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इन गांवों के लगभग हर घर में खांसी-बुुखार हो चुका है।

हरनावां : 15 दिन में खांसी-जुकाम से मर गए 13 लोग
यहां 23 अप्रैल को कोरोना से सबसे पहली मौत 36 साल के व्यापारी मुकुट लड्ढा की हुई। दो दिन बाद कोरोना संक्रमित एक महिला ने भी दम तोड़ दिया। महिला की मौत के 3 दिन बाद उसके पति की भी कोरोना से मौत हो गई। मौतों का ये सिलसिला थम नहीं रहा है। अधिकतर मरने वाले 30 से 50 साल उम्र के हैं। गांव के छगनलाल का कहना है कि यहां इतनी मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना टेस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं की है।

छगन कहते हैं कि टेस्टिंग के लिए बडू अस्पताल जाकर सैंपल देना पड़ता है। गांव में ही टेस्टिंग और इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए, वरना मौतें नहीं थमेंगी। अगर हर मौत की जांच हो तो सरकार को पता चलेगा कि लोग कैसे मर रहे हैं। गांव वालों ने बताया कि महज 15 दिनों में खांसी-जुकाम से 13 लोग जान गंवा चुके हैं। इतनी मौतें तो सालभर में नहीं होती थीं।

हरनावां के सरपंच महिपाल सिंह लगातार गांव में घूम-घूमकर खुद अनाउंसमेंट करते हुए लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। ग्राम पंचायत बेवजह घर से निकलने वालों और कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों से 11 हजार रुपए जुर्माना वसूलने की चेतावनी भी दे रही है। पूरी ग्राम पंचायत में हाइपोक्लोराइट से छिड़काव भी किया जा रहा है।

बडू: एक परिवार में 9 दिन में 4 मौतें
कोरोना की दूसरी लहर के चलते बडू गांव में मातम पसरा है। यहां 15 दिन में 19 लोगों की मौत हो चुकी है। एक परिवार में तो सिर्फ 9 दिन में 4 लोगों की जान चली गई। इनमें से ज्यादातर ने अपना टेस्ट भी नहीं कराया था, लेकिन वे सभी बुखार, खांसी, सिर दर्द, सांस लेने में परेशानी का सामना कर रहे थे। बीमार लोग अभी भी अपनी जांच करवाने के बजाए झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज ले रहे हैं। यहां पैरासिटामोल जैसी साधारण टेबलेट की भी जमकर कालाबाजारी हो रही है।

सख्त लॉकडाउन के बावजूद यहां सुबह-सुबह मिली छूट में लोग बिना मास्क बाजारों में निकल पड़ते हैं। यहां पुलिस चौकी में भी 2 ही पुलिसकर्मी हैं, जिसके चलते सख्ती नजर नहीं आ रही है। बडू सरपंच सुरेश माली लगातार गांव में घूम घूमकर खुद अनाउंसमेंट करते हुए लोगों से गाइडलाइन का पालन करने को कह रहे हैं।

जंजीला: 15 दिन में 17 अर्थियां उठीं
जंजीला गांव में महज 15 दिन के भीतर 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पूरा गांव दहशत में है। लोग अब घर से बाहर भी नहीं निकल रहे हैं। पूरे गांव में सन्नाटा है। हालांकि, इनमें से सभी मौतें कोरोना से हुई हैं, फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है, लेकिन मरने वाले सभी खांसी-बुखार से पीड़ित थे। यहां चिकित्सा विभाग हरकत में है। हर घर और ढाणी-ढाणी में जाकर लोगों की जांचें की जा रही हैं। जंजीला सरपंच रेखा कड़वा लोगों को महामारी के प्रति जागरूक कर रही हैं। ग्राम पंचायत क्षेत्र में हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जा रहा है।

दर्द की पुरानी कहानी कहते हैं ये लोग
ग्रामीण युवा सतवीर सिंह ने बताया कि यहां इतनी मौतों के बावजूद मेडिकल डिपार्टमेंट ने कोरोना टेस्टिंग की कोई व्यवस्था तक नहीं की है। इनका कहना है कि सरकार को गांव वालों का हाल समझना जरूरी है। गांव में ही टेस्टिंग और इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए, वरना मौतें नहीं थमेंगी।

बडू के पूर्व सरपंच भींवराज गिंवारियां ने बताया कि मेरी पत्नी की 10 दिन पहले ही कोरोना से मौत हुई है। हल्की सी लापरवाही आपकी जान ले सकती है। अगर हालात जल्द काबू नहीं किए गए तो ये गांव तबाह हो जाएंगे।

जंजीला के व्यापारी रामगोपाल लोहिया के 23 साल के बेटे की कोरोना से मौत हुई है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी ने सब कुछ उजाड़ कर रख दिया है, अब तो जो बचा है उसे बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं। हर समय चिंता और डर लगा रहता है कि कहीं कोई अनहोनी का समाचार न आ जाए।

इनपुट: हरनावां से रामावतार वैष्णव

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