• Hindi News
  • National
  • On The Name Russian Leader, In Politics From The Age Of 14, The Loser Had Become An Actor, Tamilnaadu Cm Stallin

चर्चा में एमके स्टालिन:नाम रूसी नेता पर,14 की उम्र से राजनीति में, हारे तो एक्टर बन गए थे

चेन्नई3 वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक
पिता करुणानिधि के साथ स्टालिन। - Dainik Bhaskar
पिता करुणानिधि के साथ स्टालिन।

एमके स्टालिन ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। कार्यभार संभालते ही सबसे पहले कोरोना राहत के रूप में हर परिवार को 4,000 रु. देने का आदेश दिया। मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन का जीवन हार और जीत की कहानी है। उनके जन्म के चार दिन बाद सोवियत संघ (रूस और अन्य देशों का संघ) के कम्युनिस्ट नेता जोसेफ स्टालिन की मौत हुई थी, इसलिए करुणानिधि ने बेटे का नाम स्टालिन रख दिया था। स्टालिन ने 14 की उम्र में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और साइकल से चाचा मुरासोली मारन का प्रचार किया।

यह उन दिनों की बात है जब तमिलनाडु में हिन्दी विरोधी अभियान चरम पर था और स्कूल में स्टालिन को शिक्षकों की मार सिर्फ इसलिए खानी पड़ती थी, क्योंकि वे करुणानिधि के बेटे थे, जो हिन्दी के खिलाफ अभियान चला रहे थे। राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। आपातकाल के दौर में स्टालिन जेल भी गए।

1984 में पहला विधानसभा चुनाव हार गए। लेकिन 1989 में जीते। लेकिन दो साल बाद ही राजीव गांधी के हत्या के बाद 1991 में फिर हार गए। स्टालिन 1996 में चेन्नई के पहले सीधे निर्वाचित मेयर बने। इस दाैरान उन्होंने "ब्यूटिफुल चेन्नई' प्रोजेक्ट शुरू किया था। लोकप्रियता बढ़ी तो उन्हें ‘मानगर थानथाई’ यानी फादर ऑफ सिटी कहा जाने लगा।

2001 में वे फिर मेयर बने। पर इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में डीएमके हार गई और तुरंत बाद स्टालिन, करुणानिधि और मुरासोली मारन को भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल गए। बाद में स्टालिन डीएमके में उप महासचिव बनाए गए, कोषाध्यक्ष भी रहे। 2006 में डीएमके की सरकार बनने के बाद उपमुख्यमंत्री भी बने। इसलिए तब उन्हें "प्रिंस इन वेटिंग' कहा जाने लगा था। माना जाता था कि आगे बागडोर वे ही संभालेंगे।

लेकिन 2011 में पार्टी को बहुमत नहीं मिला। एआईएडीएमके की प्रमुख जयललिता मुख्यमंत्री बनीं। वैसे तमिलनाडु में एक बार डीएमके और एक बार एआईएडीएमके की सरकार बनने का सिलसिला चल रहा था, लेकिन 2016 में डीएमके दूसरी बार हार गई, लेकिन इस साल जयललिता की मौत हो गई। 2018 में करुणानिधि के निधन के बाद स्टालिन डीएमके प्रमुख चुने गए।

अब जिस व्यापक बहुमत से स्टालिन ने सरकार बनाई है, उसे राज्य में स्टालिन युग की शुरुआत माना जा रहा है। इसके संकेत 2019 के लोकसभा चुनाव से ही मिलने लगे थे, जब डीएमके और सहयोगियों ने राज्य की 39 में से 38 सीटें जीत ली थीं। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी।

करुणानिधि की विरासत की जंग
2013 में करुणानिधि ने छोटे बेटे स्टालिन को सियासी वारिस घोषित कर दिया था। जबकि इसके पहले बड़े बेटे अलागिरी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का दावा करते हुए बाहर कर दिया गया था। लेकिन करुणानिधि के निधन के बाद अलागिरी ने दावा किया कि पिता के सच्चे समर्थक और सहयोगी उनके साथ हैं।

डीएमके की विरासत को लेकर दोनों भाइयों में पुराना विवाद था। जब अलागिरी को पार्टी से निकाला गया था, तब उन्होंने यहां तक कह दिया था कि स्टालिन तीन महीने में मर जाएंगे। 1990 के दशक में पार्टी में स्टालिन के एक और प्रतिस्पर्धी थे- फायरब्रांड नेता वाइको। उन्हें भी डीएमके से निष्कासित कर दिया गया था।

स्टालिन-नेता, अभिनेता, लेखक, और संपादक
तमिलनाडु में फिल्मों का ग्लैमर राजनीति में सफलता का फाॅर्मूला माना जाता है। पहला विधानसभा 1984 में चुनाव हारने के बाद स्टालिन ने दो फिल्मों और धारावाहिक में अभिनय किया। एक फिल्म "ओरे रथम' में दलित शहीद का किरदार निभाया। टीवी सीरियल "कुरिनजी मलार' में भी काम किया, जिसनेे लोकप्रियता दी और वे चुनाव जीत गए।

इसके पहले वे थिएटर कर चुके थे। 1991 में चुनाव हारे तो 1993-94 में साप्ताहिक मैग्जीन इलैया सुरियार निकाली। इसके संपादक रहे। वे ट्रेवलॉग लिखते हैं। फिटनेस के लिए क्रिकेट, बैडमिंटन खेलना पसंद है। उनके बेटे उदयनिधि ने भी सिनेमा के माध्यम से सार्वजनिक जीवन शुरू किया। उदयनिधि ने 2012 में "ओरु कल ओरु कन्नडी" फिल्म से शुरुआत की थी।

Top Cities