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अफसरों के दबाव में दो डॉक्टरों का इस्तीफा:इंदौर की स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गाडरिया बोलीं - कलेक्टर का व्यवहार सही नहीं; मानपुर के मेडिकल ऑफिसर ने लिखा- एसडीएम के व्यवहार से व्यथित हूं
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कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच अफसरों का आपसी तालमेल भी गड़बड़ाने लगा है। बुधवार को दो सरकारी डॉक्टर्स ने यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि वे अब और बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि कलेक्टर और एसडीएम अपनी नाकामियों का ठीकरा उनके सिर फोड़ रहे हैं। जिला स्वास्थ्य अधिकारी व पूर्व सीएमएचओ डॉ. पूर्णिमा गडरिया (54) ने 26 साल की सेवा को यह कहते हुए इस्तीफा दिया कि कलेक्टर ने धमकाया कि निलंबित कर दूंगा या खुद इस्तीफा दे दो। लंबे समय से खराब तरीके से बात की जा रही थी। डॉक्टर्स के इस्तीफे को लेकर राजनीति भी गर्माई और कांग्रेसी नेता डॉक्टर को मनाने जा पहुंचे। इस पूरे घटनाक्रम में कलेक्टर का कहना है कि ये लोग काम नहीं करेंगे तो जनता को महामारी से राहत कैसे मिलेगी। ये लोग नाटक करेंगे तो जनता के काम कौन करेगा।
यह है पूरा घटनाक्रम
घटनाक्रम कुछ यूं हुआ कि कलेक्टर मनीष सिंह ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मद्देनजर टीम के साथ बुधवार दोपहर खुड़ैल पहुंचे। यहां फीवर क्लीनिक पर एक मरीज ने िशकायत दर्ज कराई कि वह तीन-चार दिन से चक्कर लगा रहा है, लेकिन दवाई नहीं मिल पा रही है। इस पर कलेक्टर ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गडरिया को फोन लगाया। इसके कुछ देर बाद ही डॉ. गडरिया ने अपना इस्तीफा भेज दिया। दूसरी घटना मानपुर की है, जहां के मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) डॉ. आरएस तोमर ने भी इस्तीफा दे दिया है। उनका भी यही आरोप है कि एसडीएम अभिलाष मिश्रा बहुत अभद्रतापूर्वक बात करते हैं। इसके पहले अफसरों की बैठक में डांट-फटकार के बाद तत्कालीन सीएमएचओ डाॅ. प्रवीण जड़िया की तबीयत बिगड़ गई थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।
डॉ. गाडरिया बोलीं - मुझे कहा-इस्तीफा दे दो नहीं तो सस्पेंड कर दूंगा
“कुछ दिन से कलेक्टर फोन पर अभद्रता से ही बात कर रहे हैं। उनकी नाकामी का ठीकरा हम पर फोड़ रहे हैं। चार दिन पहले स्टाफ कुछ बेड अपने लिए सुरक्षित रखने का इच्छुक था। इस पर कलेक्टर ने कहा कि बकवास बंद करो। आपको 24 घंटे में हटा सकता हूं। दो दिन पहले रेसीडेंसी में भी बद्तमीजी की गई। बुधवार को फीवर क्लिनिक पर किसी मरीज को गोली नहीं मिली तो कहा कि इस्तीफा दे दो, नहीं तो मैं सस्पेंड कर दूंगा। हर बार कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग निकम्मा है। वे जब नाकाम होते हैं, जिम्मेदारी हम पर डाल देते हैं।
कलेक्टर बोले - ये लोग नाटक करेंगे तो जनता के काम कौन करेगा
उन्हें ग्रामीण फीवर क्लिनिक का दायित्व दिया गया है। एक महीने पहले मेडिकल किट दे दी गई थी। बुधवार को खुड़ैल में कम्पेल के एक व्यक्ति ने कहा कि चार दिन से किट नहीं मिल रही। तब ही उनसे बात हुई। ये लोग काम नहीं करेंगे तो जनता को महामारी से राहत कैसे मिलेगी। वे सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ हैंं। ये लोग फील्ड में नहीं जाते हैं। इन लोगों को ड्यूटी ठीक से करना होगी। ये लोग नाटक करेंगे तो जनता के काम कौन करेगा। मैंने कमिश्नर साहब से अनुशंसा की है कि उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए।
डॉ. तोमर बोले - इतनी अशिष्ट भाषा कैसे सह सकते हैं
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएस सैत्या को भेजे गए इस्तीफे में कहा कि एसडीएम बेहद अभद्र, अशिष्ट व अमर्यादित भाषा में बात करते हैं। मैं इस तरह काम नहीं कर सकता। दिन में इन्सुलिन के चार इंजेक्शन लगाता हूं। एंजियोप्लास्टी होने के बाद भी अपना कार्य निष्ठा से कर रहा था, लेकिन अब इस तरह से शारीरिक व मानसिक वेदना सहनशक्ति से बाहर हो गई है। मैं भी इस भाषा का प्रयोग कर सकता था, लेकिन पद व प्रतिष्ठा सर्वोपरि है।
एसडीएम बोले - लगातार अनुपस्थित रहने की शिकायत थी
बुधवार को जब मैं मानपुर स्वास्थ्य केंद्र के निरीक्षण के लिए गया तो डॉ. तोमर अनुपस्थित मिले। अस्पताल में कोरोना मरीजों की जांच को लेकर लगातार शिकायत मिल रही थी। डॉ. तोमर को मौके पर बुलाकर मरीजों को दी जाने वाली दवाइयों के नाम पूछे तो वे कुछ नहीं बता पाए। इसके पहले जनपद सीईओ निरीक्षण के लिए गए थे, तब भी वे अनुपस्थित ही मिले थे। उनके बारे में आम लोगों के साथ ही जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत मिल रही थी। उनसे कभी किसी भी तरह की कोई अभद्रता नहीं की गई है।
दिसंबर में डॉ. जडिया को भी लगाई थी फटकार
दिसंबर 2020 में कलेक्टोरेट में प्रसूति सहायता सहित अन्य कामों में पेंडेंसी को लेकर कलेक्टर मनीष सिंह ने सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया को मीटिंग में ही फटकार लगा दी थी। कलेक्टर ने उन्हें यूज लेस सीएमएचओ तक कह दिया था। इसके बाद मीटिंग से बाहर आए जड़िया को सीने में दर्द हुआ और वे बाहर चेयर पर बैठ गए थे। इस दौरान उनके आंखों से आंसू भी छलक उठे। अन्य साथी उन्हें पकड़कर बाहर ले आए। यहां से निजी अस्पताल में जांच करवाने पहुंचे। जांच के बाद वे पांच दिन के अवकाश पर चले गए थे।
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