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- 35 Percent Of Cases In Villages; Active Cases Increased Up To 15 Times In 30 Days, No Investigation, Untreated, People Driving Away Corona By Offering Glucose
अब चौपाल पर चकल्लस कर रहा कोरोना:35% मामले गांवों में; 30 दिन में 15 गुना तक बढ़े एक्टिव केस, ग्लूकोज चढ़ाकर कोरोना भगा रहे लोग
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शहरों में तांडव मचा रहा कोरोना अब ग्रामीण जिलों में फैल चुका है। जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर से सटे जिलों में नए मरीजों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। चिकित्सा विभाग के अनुसार अभी करीब 35% तक नए रोगी ग्रामीण इलाकों से आ रहे हैं। बाड़मेर, चूरू, धौलपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़ जैसे जिलों में भी रोज का औसत 200 केस का है, जबकि यहां पर दूर दराज के इलाकों में तो सैंपलिंग ही नहीं हो रही।
लोग भी कोरोना के नाम पर इतने डरे हैं कि खुद जांच नहीं कराते। वजह... यहां आईसीयू बेड और रेमडेसिविर तो दूर मरीजों के इलाज के लिए कोविड सेंटर भी नहीं हैं। इलाज के लिए लोगाें को 100 किमी दूर जिला मुख्यालयों तक जाना पड़ रहा है। ऐसे ही ग्रामीण क्षेत्रों से भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट...
‘नीम’-हकीम खतरा ए...जैतारण में बेड फुल, नीम के पेड़ के नीचे दे रहे मरीजों को सांसे
पाली के जैतारण में नेत्र चिकित्सालय में बने कोविड सेंटर में 30 ऑक्सीजन बेड फुल हैं। अब बाकी मरीजों को बाहर नीम के पेड़ के नीचे ऑक्सीजन दी जा रही है।
भरतपुर : 10 गुना दाम पर हो रहा सीटी स्कैन
बयाना में मरीजों को भर्ती करने की कोई सुविधा नहीं। सीटी स्कैन भी 10 गुना दाम पर हो रहा है। लोग जांच कराने के बजाय लक्षणों के आधार पर दवा ले रहे हैं। वैर सीएचसी से 2 किमी दूर सटे 5 हजार आबादी वाले नगला गोठरा, गोठरा में 70% लोगों को जुकाम-खांसी बुखार है। मेडिकल टीम आई, पर किसी ने जांच नहीं कराई।
करौली : लक्षण के आधार पर खुद ही ले रहे हैं दवा
भोपुर, सहजनपुर, गाजीपुर समेत कई गांव हैं, जहां हर घर में बुखार से पीड़ित लोग हैं। सहजनपुर के शेर सिंह ने बताया कि बुधवार को एसडीएम ने मेडिकल टीम भेजी थी। लोग टेस्ट कराने को तैयार नहीं हुए। वे खुद ही दवाई ले रहे हैं।
- टोडाभीम एसडीएम दुर्गाप्रसाद मीना ने कहा कि सहजनपुर के लालाकापुरा में सबकेे बीमार होने जैसी बात नहीं है। मेडिकल टीम ने घर-घर सर्वे कर किट दी है।
झालावाड़, एमपी से आने वालाें पर कोई सख्ती नहीं है। भीमनी में 3 दिन पहले एमपी से आए एक व्यक्ति ने 91 लोगों में संक्रमण फैला दिया।
जोधपुर, शेरगढ़ में रविवार को एक व्यक्ति पॉजिटिव आने के अगले दिन बाजार में घूम रहा था। शादी में 6 लोग पॉजिटिव आए, बाकी की जांच नहीं की।
पाली, बांगड़ अस्पताल में 280 बेड बनाए गए। उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जा रहा है, जिनका सेचुरेशन 85 से नीचे है।
बांसवाड़ा, 28 वर्षीय बेटे की मौत के सदमे में 7 दिन बाद मां ने अपनी जान गंवा दी। मां को भी कोरोना था।
जयपुर, मनोहरपुर में संक्रमितों के इलाज की व्यवस्था नहीं है। 50 किमी दूर जयपुर, 60 किमी दूर कोटपूतली में कोविड सेंटर है। किशनगढ़-रेनवाल में 5 दिन पहले खारड़ा क्षेत्र के 35 साल युवक को 5 दिन पहले सर्दी जुकाम हुई। बाद में मौत हो गई।
बाड़मेर, चौहटन विधानसभा क्षेत्र में चौहटन, सेड़वा, धनाऊ व बाखासर में सीएचसी और पूरे क्षेत्र में 14 से अधिक पीएचसी हैं। इनमें सैंपलिंग तो हो रही है लेकिन कोविड सेंटर ही नहीं बना है। मरीजों को बाड़मेर रेफर किया जाता है। गुड़ामालानी में कोविड सेंटर नहीं है। मरीजों को 100 किमी दूर बाड़मेर जाना पड़ता है।
हनुमानगढ़, गांव में ऑक्सीजन की सुविधा तो कहीं है ही नहीं, ऐसे में गांव वालों की सारी उम्मीदें जिला अस्पताल पर ही टिकी हैं।
टोंक कल्याणपुरा जाटान में 15 दिन पूर्व एक साथ 17 केस कोराना संक्रमण के आए थे। जो अब रोज 52 का आंकड़ा छू रहे हैं।
बूंदी, सबसे बड़ी समस्या अस्पताल में ऑक्सीजन को लेकर सामने आ रही है। सप्लाई कोटा से होती आ रही है।
प्रतापगढ़, धरियावद हॉस्पिटल में कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए कोई इमरजेंसी व्यवस्था नहीं होने की वजह से इन्हें या तो 45 किलोमीटर दूर जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़ या फिर करीब 100 किलोमीटर दूर उदयपुर ही रेफर किया जाता है।
कोटा, रामगंजमंडी में कोविड अस्पताल ही नहीं, मरीजों को कोटा या झालावाड़ रेफर करना पड़ता है।