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भास्कर एक्सप्लेनर:6 महीने पहले ही पहचान लिया गया था भारत में तबाही मचाने वाला वैरिएंट; फिलहाल 17 देशों में मिल चुका
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भारत में इस महीने कोरोना संक्रमण के मामलों में दुनिया की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। इसके लिए दुनिया भर के विशेषज्ञ कोरोना के भारतीय वैरिएंट को जिम्मेदार मान रहे हैं, जिसकी पहचान 6 महीने पहले हो चुकी थी। जानिए, इस वैरिएंट के बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं-
क्या है ये वैरिएंट, कब इसे पहचाना गया
इस वैरिएंट का नाम बी.1.617 है। फिलहाल 17 देशों में मिल चुका है। डब्ल्यूएचओ कहता है कि इसे सबसे पहले अक्टूबर 2020 में पहचाना गया था। पुष्टि दिसंबर 2020 में हो गई थी। यह बेहद संक्रामक है और इसमें वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी को भी नजरअंदाज कर देने की क्षमता रखता है।
महाराष्ट्र-दिल्ली में क्यों बढ़ रहा संक्रमण
नेशनल सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल के डायरेक्टर सुजीत कुमार सिंह बताते हैं-दिल्ली में फैलते संक्रमण के पीछे बी.117 वैरिएंट है, जो अत्यधिक संक्रामक है और इसकी सबसे पहले पहचान यूके में की गई थी। जबकि महाराष्ट्र में फैल रहे संक्रमण के पीछे भारतीय वैरिएंट बी.1.617 जिम्मेदार है।
वैरिएंट की सबसे बड़ी खासियत क्या है
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन में संक्रमण की मॉडलिंग करने वाले क्रिस मरे बताते हैं कि भारत में पाए जाने वाला बी.1.617 वैरिएंट में नेचुरल इम्यूनिटी (प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) को नजरअंदाज करने की क्षमता है। प्राकृतिक तौर पर लोगों में संक्रमण से लड़ने के लिए क्षमता होती है, लेकिन इस ताकतवर वैरिएंट के कारण यह बेअसर होती दिख रही है।
क्या बाहरी वैरिएंट भी संक्रमण बढ़ा रहे हैं
हां। वैरिएंट बी.1.617 के अलावा यह संभावना है कि ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका के वैरिएंट भी भारत में संक्रमण बढ़ा रहे हैं। समस्या ये है कि भारत में कोरोना वायरस पर होने वाला जीन-सिक्वेंसिंग डाटा बहुत कम है, इसलिए अभी इस अनुमान की पुष्टि करना थोड़ा मुश्किल हो रहा है।
वैरिएंट को ताकत कैसे मिल रही है
रोम के बैम्बिनो जेसू हॉस्पीटल के इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रमुख कार्लो फेडेरिको पेर्नो बताते हैं कि भारत में मिला यह वैरिएंट अपने दम पर इतनी तेजी से संक्रमण नहीं फैला सकता। इसको बेरोक-टोक इकट्ठा हो रही बेपरवाह भीड़ से मदद मिल रही है। इसी भीड़ को सुपर स्प्रेडर कहें, तो गलत नहीं होगा।
क्या वैक्सीन से बचाव संभव है
व्हाइट हाउस के चीफ मेडिकल एडवाइजर एंथनी फॉची के मुताबिक, शुरुआती रुझान बताते हैं कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन इस वैरिएंट से लड़ने में सक्षम है। वहीं इंग्लैंड की पब्लिक हेल्थ संस्था ने बताया कि वो यह पता लगा रहे हैं कि वैक्सीन इस वैरिएंट में कारगर है या नहीं। अभी प्रमाणित नहीं किया जा सकता।
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