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भास्कर ओरिजिनल:एंटी वेनम की तर्ज पर देश में ही बनेगी एंटी कोविड ड्रग; 3000 घोड़ों पर ट्रायल सफल, ह्यूमन ट्रायल जल्द शुरू होगा

हैदराबाद3 वर्ष पहलेलेखक: प्रमोद त्रिवेदी
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कोरोना से जंग के बीच एक अच्छी खबर आई है। जहर के असर को खत्म करने वाली तकनीक के आधार पर कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए देश की पहली मान्यता प्राप्त दवा का ह्यूमन ट्रायल शुरू होने जा रहा है। देश के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) ने जहर की दवा बनाने वाली कंपनी विन्स बायोटेक के साथ मिलकर कोरोना की दवा बनाई है। इसका घोड़ों पर ट्रायल सफल रहा है। CCMB के डायरेक्टर डॉ. राकेश के मिश्रा ने बताया कि उन्होंने जीनोम सिक्वेंसिंग लैब में कोरोनावायरस बनाया और उसको कल्चर किया। वायरस कल्चर करने के बाद उस वायरस को डेड किया गया।

इस डेड वायरस को घोड़ों में इंजेक्ट किया गया। फिर 15 दिन और 25 दिन के अंतर पर देखा कि घोड़ों में एंटीबॉडी बन गई है। विन्स बायोटेक के साथ मिलकर ऐसे 3 हजार घोड़ों पर ट्रायल किया गया, जो पूरी तरह सफल रहा। इस ट्रायल के बाद विन्स ने DGCI (ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया) के पास ह्यूमन ट्रायल के लिए एप्लाई किया है। उम्मीद है एक-दो दिन में अप्रूवल मिल जाएगा।

डॉ. मिश्रा और साइंटिस्ट प्रो. पूरनसिंह सिजवाली बताते हैं कि ये प्रयोग जहर को मारने वाली यानी एंटी वेनम तकनीक पर किया जा रहा है। इसमें बहुत कम मात्रा में घोड़े के शरीर में कोबरा का जहर इंजेक्ट किया जाता है। इस जहर के खिलाफ घोड़े में एंटीबॉडी बन जाती है। एंटीबॉडी बनने के बाद घोड़े के खून को निकालकर एंटीबॉडी प्यूरिफाई करते हैं। वो एंटीबॉडी उस व्यक्ति को इंजेक्ट करते हैं, जिसे सांप ने काटा है।

एक घोड़े के खून से हजारों लोगों के लिए दवा बनाई जा सकेगी
वैज्ञानिकों के मुताबिक इंसान में भी इनएक्टिव वायरस को इंजेक्ट कर एंटीबॉडी बनाई जा सकती है, लेकिन आदमी के शरीर से इतना खून नहीं निकाल सकेंगे कि हजारों लोगों के लिए दवा बन सके। जबकि घोड़े के शरीर से 2 लीटर खून कई बार निकाल सकते हैं। इससे हजारों लोगों के लिए दवा बन सकती है।

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