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सांसों की कालाबाजारी:4,200 रुपए का ऑक्सीजन सिलेंडर 15 हजार में बिक रहा, कई राज्यों में दवाओं और सिलेंडर की किल्लत

3 वर्ष पहले
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दूसरी लहर में भयावह रूप ले चुके कोरोना से संक्रमित लोगों को बचाने के लिए एक-एक सांस का संघर्ष चल रहा है, मरीज के परिजन इस तरह खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर रहे हैं। - Dainik Bhaskar
दूसरी लहर में भयावह रूप ले चुके कोरोना से संक्रमित लोगों को बचाने के लिए एक-एक सांस का संघर्ष चल रहा है, मरीज के परिजन इस तरह खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर रहे हैं।

दूसरी लहर में भयावह रूप ले चुके कोरोना से संक्रमित लोगों को बचाने के लिए एक-एक सांस का संघर्ष चल रहा है। सरकारें दवा और ऑक्सीजन की आपूर्ति सामान्य होने का दावा कर रही हैं, वहीं इनके अभाव में लोग दम तोड़ते लोग दिख रहे हैं। लखनऊ से मुंंबई और राजस्थान से पंजाब तक हालात चिंताजनक हैं। सांसों के संकट को ‘अवसर’ मान ऑक्सीजन की कालाबाजारी की भी शिकायतें आ रही हैं।

मध्यप्रदेश उज्जैन: मनमाने दामों पर बिक रहे हैं सिलेंडर, स्टैंडबाय भी कम पड़ रहे
आरडीगार्डी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एमके राठौड़ कहते हैं कि कुछ महीने पहले जो ऑक्सीजन सिलेंडर 4,200 रुपए में मिलता था वह 15 हजार रुपए देने पर भी नहीं मिल रहा है। जयपुर बात की तो 25 हजार रुपए दाम बताया गया। जिंदगी बचाने के समय रुपयों की ऐसी भूख चिंताजनक है। आपदा को अवसर में बदलने वालों पर अंकुश नहीं लगाया तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। स्टैंडबाय सिलेंडर तक इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं। स्थिति किसी भी दिन विस्फोटक हो सकती है।

उत्तर प्रदेश, लखनऊ: पीजीआई में पहले 50 सिलेंडर लगते थे, अब 500 की जरूरत
निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन बाइक, साइकिल, रिक्शे, ऑटो और कार से खुद सिलेंडर ढो रहे हैं। ऑक्सीजन फैक्ट्रियों के बाहर लंबी कतारें हैं। पीजीआई में पहले रोज 50 सिलेंडर की खपत थी अब 500 लग रहे हैं। डीजी हेल्थ डॉ. डीएस नेगी दावा करते हैं कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है, जबकि राजधानी में ही हालत खराब हैं। प्रदेश के 75 में से 12 जिलों में संक्रमण भयावह है। ऑक्सीजन उत्पादक बताते हैं कि पहले रोज 1200 सिलेंडर तैयार करते थे अब 1900 कर रहे हैं। फिर भी कमी है।

महाराष्ट्र, मुंबई: अप्रैल के अंत तक बढ़ सकती है ऑक्सीजन की किल्लत
प्रदेश में रोज 1250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। पहले 200 मीट्रिक टन तक मेडिकल सप्लाई थी। अब यह बढ़कर 650-750 मीट्रिक टन हो गई है। 8 अप्रैल को प्रदेश में 34,100 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। अप्रैल के अंत तक मरीजों का आंकड़ा 9 लाख पहुंच सकता है। ऐसा हुआ तो ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। महाराष्ट्र 30-50 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गुजरात और 50 टन छत्तीसगढ़ से मंगाने की कोशिश कर रहा है।

राजस्थान, जयपुर: 700 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर, 800 से ज्यादा सिलेंडर चाहिए
राजस्थान के सबसे बड़े कोविड अस्पताल जयपुर के आरयूएचएस में 1,700 ऑक्सीजन सिलेंडर वर्किंग हैं और 1,500 का बैकअप है। आरयूएचएस में रोज 100 से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं। वहीं, 700 से अधिक मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, लेकिन जरूरत 800 से ज्यादा सिलेंडर की है। भिवाड़ी से आने वाले लिक्विड ऑक्सीजन को सिलेंडरों में भरने के लिए आरयूएचएस में प्लांट लगाया गया है। इसमें 1,700 सिलेंडर की ऑक्सीजन हर समय तैयार रहती है।

पंजाबः 25% ऑक्सीजन बेड ही भरे
पंजाब में मेडिकल आक्सीजन बनाने वाली 7 यूनिट हैं जो 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तैयार करती हैं। इसके अलावा हिमाचल, हरियाणा और उत्तराखंड से 140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आती है। अभी पंजाब में 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड है। प्रदेश में अभी केवल 25 फीसदी ऑक्सीजन बेड भरे हैं। बड़े सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं।

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