अगर पीएम मोदी ओडिशा के पुरी से चुनाव लड़े तो...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जगन्नाथपुरी जीतने के लिए नहीं बल्कि बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए जा रहे हैं, हारे भी तो गुजरात से जीत ही जाएंगे

अगर पीएम मोदी ओडिशा के पुरी से चुनाव लड़े तो...

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले हैं. वाराणसी के बाद पुरी. इसके पीछे एक ही वजह हो सकती है, हिंदुत्व का एजेंडा. ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने वाले हैं. ऐसे में भगवान जगन्नाथ के नाम पर बीजेपी वोट मांगेगी. अगर प्रधानमंत्री यहां से हार भी जाते हैं तब भी कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि वे गुजरात से जीत ही जाएंगे और एक सीट तो उन्हें वैसे ही छोड़ना होगी. प्रधानमंत्री पुरी जीतने के लिए नहीं बल्कि बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए जा रहे हैं.

सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री पुरी से क्यों लड़ना चाहते हैं. पुरी कभी भी बीजेपी का गढ़ नहीं रहा. पुरी से बीजेपी कभी लोकसभा चुनाव नहीं जीती है. पुरी  के बीजद के सांसद पिनाकी मिश्र भी काफी लोकप्रिय हैं. वे साल 2009 से सांसद हैं और 1996 में भी कांग्रेस के टिकट से जीत चुके हैं. सन 2014 के लोकसभा चुनाव में पिनाकी मिश्र को 50 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी और बीजेपी तीसरी नंबर पर. बीजेपी को 20 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे. पुरी में सात विधानसभा सीटें हैं जिसमें छह पर बीजद का कब्ज़ा है और सिर्फ एक सीट बीजेपी के हाथ में है. पुरी की चिल्का विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि बीजेपी ने इस सीट पर सिर्फ 541 वोट से जीत हासिल की थी.

अगर 2014 के चुनाव की बात करें तो लोकसभा और विधानसभा में बीजद ने शानदार प्रदर्शन किया था. विधानसभा की 147 सीटों में  से बीजद को 117 सीटें मिली थीं, यानी 2009 से 14 सीट ज्यादा.  साल 2009 से बीजद का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है. साल 2004 में कांग्रेस को रोकने के लिए बीजद और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा और 93 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजद ने 84 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 61 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि बीजेपी ने 63 पर चुनाव लड़ा था और 32 सीटों पर जीत हासिल की थी. अगर सभी 147 विधानसभा क्षेत्रों को लिया जाए तो 2004 में बीजद को 27.5 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि बीजेपी को 17.11 प्रतिशत वोट मिले थे.   

अगर सिर्फ चुनाव लड़ने वाले क्षेत्र की बात की जाए तो बीजद को 47.44 वोट मिले थे जबकि बीजेपी को 40.43 प्रतिशत वोट मिले थे. सन 2009 में बीजद और बीजेपी अलग होकर चुनाव लड़े थे और यह आंकड़े बदल गए. 2009 में बीजेपी 145 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सिर्फ छह पर जीत हासिल कर पाई थी. बीजेपी को सिर्फ 15 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे. बीजद 129 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 103 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजद का वोट प्रतिशत 27.5 से बढ़कर 38.86 हो गया. साल 2014 में बीजद सभी 147 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 117 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजद का वोट प्रतिशत भी 38.86 से बढ़कर 43.35 हो गया था. अगर बीजेपी की बात की जाए तो बीजेपी 147 में से सिर्फ 10 पर जीत पाई थी और बीजेपी को 18 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे.

अगर लोकसभा सीट की बात की जाए तो 2014 में बीजद ने 21 में से 20 सीटों पर जीत हासिल की थी और एक सीट बीजेपी को मिली थी. 2009 में बीजद ने 14 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. 2004 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में बीजद और बीजेपी ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था. 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजद को 30 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे और बीजद ने 11 सीट पर जीत हासिल की थी जबकि बीजेपी को 19 प्रतिशत वोट मिले थे और बीजेपी ने सात सीटों पर जीत हासिल की थी. 2009 में बीजद और बीजेपी अलग हो गए थे. साल 2009 के लोकसभा सभा चुनाव में बीजद को 37.23 प्रतिशत वोट मिले थे और 2014 में यह बढ़कर 44.1 हुआ. साल 2014 में बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई थी. सन 2009 में बीजेपी को 17 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे जबकी 2014 में यह बढ़कर 22 प्रतिशत के करीब हो गया. वर्ष 2009 में बीजद से अलग होने के बाद बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी जबकि 2014 में सिर्फ एक सीट जीती थी.

इस बार बीजेपी ने ओडिशा के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है. कई बार प्रधानमंत्री रैलियां भी कर चुके हैं. अगर प्रधानमंत्री पुरी से चुनाव लड़ेंगे तो हिन्दुत्व ही मुख्य मुद्दा रहेगा. अगर ऐसा नहीं तो  प्रधानमंत्री किसी दूसरे क्षेत्र से भी लड़ सकते हैं. प्रधानमंत्री को कलाहांडी, कोरापुट, बोलांगीर जैसे इलाके से लड़ना चाहिए. यह ओडिशा के सबसे गरीबी इलाके हैं और वैसे भी प्रधानमंत्री हमेशा गरीबों की बात करते हैं. अगर प्रधानमंत्री इन इलाकों से लड़ेंगे तो यहां डेवलपमेंट भी होने लगेगा, कंपनियां आएंगी, इंडस्ट्री सेट अप होगा, रास्ते बनेंगे. नहीं तो प्रधानमंत्री सुंदरगढ़ से लड़ सकते हैं. ओडिशा से बीजेपी का सिर्फ एक ही लोकसभा सांसद है जो सुंदरगढ़ से हैं, जुएल ओराम केंद्र में मंत्री हैं. प्रधानमंत्री चाहें तो केंद्रपाड़ा से भी लड़ सकते हैं यहां बैजंती पांडा सांसद हैं और बीजद छोड़ चुके हैं. यह कहा जा रहा है कि वे बीजेपी में जाने वाले हैं. आखिरी यह प्रधानमंत्री पर ही निर्भर करता है कि वे कहां से चुनाव लड़ें. यह भी हो सकता है कि प्रधानमंत्री ओडिशा से चुनाव ही न लड़ें और मीडिया की रिपोर्ट गलत साबित हो जाए. वैसे भी प्रधानमंत्री मीडिया रिपोर्ट को गलत साबित करने में सबसे आगे रहते हैं.


सुशील मोहपात्रा NDTV इंडिया में Chief Programme Coordinator & Head-Guest Relations हैं

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